Shiva's Rosary Rudraksha: पवित्रता और नियमों से मिलती है अक्षय ऊर्जा, जानें धारण विधि

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News India Live, Digital Desk: Shiva's Rosary Rudraksha: सनातन धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव का अत्यंत पावन स्वरूप माना जाता है। कहते हैं कि यह शिव के आँसुओं से उत्पन्न हुआ है और इसे धारण करने से व्यक्ति पर महादेव की विशेष कृपा बनी रहती है। रुद्राक्ष न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसके आध्यात्मिक और वैज्ञानिक लाभ भी बताए जाते हैं। हालाँकि, रुद्राक्ष को धारण करने के कुछ विशिष्ट नियम और शुद्धता की परंपराएँ हैं, जिनका पालन करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है ताकि इसके सकारात्मक प्रभाव पूरी तरह से प्राप्त हो सकें।

रुद्राक्ष को धारण करते समय इसकी पवित्रता बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है। इसे कभी भी श्मशान घाट या अंत्येष्टि स्थल पर धारण नहीं करना चाहिए। ऐसी जगहों पर जाने से पहले रुद्राक्ष को उतारकर एक शुद्ध स्थान पर रखना बेहतर माना जाता है। इसी तरह, शारीरिक संबंध बनाने के समय भी रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए, क्योंकि इस दौरान उसकी शुद्धता भंग हो सकती है। रात्रि में सोते समय भी इसे उतार देना अच्छा माना जाता है, खासकर यदि आप भोजन या आदतों को लेकर सावधान नहीं हैं। यदि कोई व्यक्ति शराब या मांसाहार का सेवन करता है, तो उसे इन चीजों से दूर रहते हुए ही रुद्राक्ष धारण करना चाहिए; ऐसे भोजन के बाद रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए।

रुद्राक्ष को पहनने से पहले उसका शुद्धिकरण और 'प्राण प्रतिष्ठा' आवश्यक है। यह प्रक्रिया किसी जानकार पंडित द्वारा मंत्रोच्चार के साथ की जानी चाहिए, जिससे रुद्राक्ष ऊर्जावान और सक्रिय हो जाए। जब एक बार यह सिद्ध हो जाता है, तो यह माना जाता है कि इसे धारण करने वाले व्यक्ति को इससे अधिकतम लाभ प्राप्त होता है। अपने धारण किए हुए रुद्राक्ष को किसी अन्य व्यक्ति के साथ साझा करना या उसे दूसरों को छूने देना वर्जित माना जाता है। रुद्राक्ष व्यक्ति के व्यक्तिगत ऊर्जा से जुड़ जाता है, और उसे किसी और को देने से उसकी शुद्धता और प्रभावशीलता पर असर पड़ सकता है।

जो लोग रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं, उनके लिए यह बेहद ज़रूरी है कि उन्हें रुद्राक्ष की शक्तियों पर पूरी श्रद्धा और विश्वास हो। इसे केवल फैशन या अंधविश्वास के तौर पर नहीं पहनना चाहिए, बल्कि महादेव पर अटूट विश्वास के साथ धारण करना चाहिए। धारण करने से पहले या धारण करते समय 'ॐ नमः शिवाय' या 'महामृत्युंजय मंत्र' का जाप करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है, जिससे रुद्राक्ष की ऊर्जा में वृद्धि होती है। समय-समय पर रुद्राक्ष को गंगाजल या गाय के दूध से धोकर साफ करना भी उसकी पवित्रता और ऊर्जा को बनाए रखने में सहायक होता है। इस प्रकार, रुद्राक्ष धारण करना सिर्फ एक गहना पहनने जैसा नहीं, बल्कि एक पवित्र अनुष्ठान और महादेव के प्रति गहरे समर्पण का प्रतीक है, जिसे नियमों के साथ पालन करने से जीवन में सकारात्मकता और शांति आती है।

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