Shashi Tharoor Reply : क्या वाकई अमेरिका ने युद्ध रोका था? शशि थरूर ने खोली 100% टैरिफ वाली धमकी की पोल
News India Live, Digital Desk : अमेरिकी राजनीति और वहां के बयानों में हमेशा "मैं, मैंने और मेरा" का भाव होता है। खासकर जब बात डोनाल्ड ट्रंप की हो, तो कहानी अक्सर फ़िल्मी हो जाती है। अभी हाल ही में ट्रंप ने एक बड़ा दावा किया। उनका कहना था कि भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़ने वाली भयानक लड़ाई को उन्होंने रुकवाया। कैसे? ये कहकर कि अगर लड़ाई नहीं रुकी, तो वे दोनों देशों पर भारी-भरकम टैक्स (Tariffs) लगा देंगे।
सुनने में यह अमेरिका की पुरानी "बिग बॉस" वाली छवि जैसा लगता है। लेकिन कांग्रेस नेता और पूर्व राजनयिक शशि थरूर ने अब इस कहानी का दूसरा पहलू दुनिया के सामने रखा है, जो हमें जानना बहुत जरूरी है। यह पहलू बताता है कि भारत अब वो देश नहीं रहा जो किसी की धमकी से डर जाए या किसी के अहसान का मोहताज हो।
ट्रंप की कहानी में कितना दम?
ट्रंप का दावा था कि भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे से लड़ने के लिए तैयार बैठे थे, और उनकी एक धमकी ने सब ठीक कर दिया। लेकिन शशि थरूर ने साफ़ शब्दों में कहा—"यह सच नहीं है।"
थरूर ने समझाया कि भारत को किसी ने यह नहीं कहा था कि क्या करना है और क्या नहीं। न तो अमेरिका ने, और न ही किसी और देश ने। हमारी सरकार और सेना ने जो किया, वह पूरी तरह से हमारा अपना फैसला था। हमने न तो अमेरिका से मध्यस्थता (Mediation) मांगी थी और न ही हमें इसकी जरूरत थी।
असली वजह: जब पाकिस्तान ने कहा 'बस करो'
अब आते हैं उस सच पर जो हर भारतीय को गर्व महसूस कराएगा। शशि थरूर ने बताया कि लड़ाई इसलिए बंद नहीं हुई कि अमेरिका ने कोई 'टैरिफ' का डर दिखाया था। लड़ाई इसलिए रुकी क्योंकि पाकिस्तान ने खुद यह इच्छा जताई थी।
जब भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई शुरू की, तो पाकिस्तान पर दबाव इतना बढ़ गया कि उन्होंने संपर्क साधा। संदेश साफ़ था—"चलिए, इस एक्शन को यहीं रोकते हैं" (Let’s stop the action).
भारत का मकसद कभी भी युद्ध थोपना नहीं था। हमारा उद्देश्य सिर्फ अपनी सुरक्षा करना और आतंकियों को सबक सिखाना था। जैसे ही पाकिस्तान की तरफ से यह इशारा मिला कि वे अब और पंगे लेने की स्थिति में नहीं हैं और स्थिति को शांत करना चाहते हैं, भारत ने भी बड़प्पन दिखाते हुए कार्रवाई रोक दी। यानी कंट्रोल पूरी तरह से भारत के हाथ में था, अमेरिका के नहीं।
बिना मांगे ज्ञान नहीं चाहिए
थरूर की बातों से एक बात शीशे की तरह साफ़ हो गई है। जब ट्रंप कहते हैं कि "मैंने यह किया", तो वो शायद अपने वोटर्स को खुश कर रहे होंगे। लेकिन हकीकत यह है कि भारत ने साफ कर दिया था कि यह हमारा आपसी मामला है। थरूर ने सही याद दिलाया कि हमने हमेशा तीसरे पक्ष (Third Party) के हस्तक्षेप को नकारा है।
सोचिए जरा, अगर वाकई अमेरिका की धमकी में दम होता, तो भारत अपनी संप्रभुता (Sovereignty) से समझौता क्यों करता? सच्चाई यह है कि यह जीत भारतीय कूटनीति और सेना के दबाव की थी। पाकिस्तान को समझ आ गया था कि आगे बढ़ने में उसका ही नुकसान है।
तो अगली बार जब कोई कहे कि पश्चिम ने हमें बचाया, तो उन्हें थरूर का यह जवाब और पाकिस्तान की वह 'गुहार' याद दिला दीजिएगा।
--Advertisement--