पहलगाम का वो काला दिन एनआईए ने 1600 पन्नों में खोला खौफनाक साजिश का हर राज
News India Live, Digital Desk : आपको याद होगा अप्रैल 2025 का वो दिल दहला देने वाला मंजर, जब पहलगाम की खूबसूरत वादियों में गोलियों की गूंज सुनाई दी थी। बैसरन, जिसे लोग 'मिनी स्विट्जरलैंड' कहते हैं, वहां सैलानियों (Tourists) पर हुए उस हमले ने पूरे देश को गम और गुस्से में भर दिया था। उस हमले में 26 बेगुनाह जानें गई थीं।
कल एनआईए (NIA) ने उस दर्दनाक हादसे के इन्साफ की तरफ एक बड़ा कदम बढ़ाया है। जांच एजेंसी ने जम्मू की अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी है। ये कोई छोटी-मोटी फाइल नहीं, बल्कि 1,597 पन्नों का पुलिंदा है, जिसमें हर उस गुनहगार का नाम है जिसने इस साजिश को अंजाम दिया। चलिए, आसान भाषा में समझते हैं कि इस फाइल में क्या खास है।
7 गुनहगार, जिनमें से 3 का हो गया 'गेम ओवर'
इस चार्जशीट की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें कुल 7 लोगों को आरोपी बनाया गया है। लेकिन आपको यह जानकर तसल्ली होगी कि हमारी सेना ने न्याय का इंतजार नहीं किया था।
एनआईए ने बताया कि इन 7 में से 3 आतंकी— फैसल जट, हबीब ताहिर और हम्जा अफगानी —पहले ही मारे जा चुके हैं। जुलाई 2025 में हुए 'ऑपरेशन महादेव' के दौरान हमारे जवानों ने श्रीनगर के दाचीगाम जंगलों में उन्हें घेरकर ढेर कर दिया था। यानी जिन्होंने हथियार उठाए, उन्हें उसी भाषा में जवाब मिल गया।
साजिश की जड़: पाकिस्तान में बैठा 'मास्टरमाइंड'
चार्जशीट साफ कहती है कि डोर किसके हाथ में थी। साजिद जट, जो पाकिस्तान में छिपा बैठा है, वही इस पूरी साजिश का असली विलेन है। वह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) का कमांडर है। उसी ने सीमा पार से युवाओं को बरगलाने और हथियारों की सप्लाई का काम किया। एनआईए ने उसे फरार घोषित किया है और शिकंजा कसने की तैयारी चल रही है।
घर के भेदी जिन्होंने दिया साथ
सबसे दुखद पहलू यह है कि कुछ अपने ही लोग गद्दार निकले। चार्जशीट में परवेज अहमद डार और बशीर अहमद नाम के दो स्थानीय लोगों का जिक्र है। इन पर आरोप है कि इन्होंने आतंकवादियों को अपने घर में पनाह दी (harboring) और रसद पहुंचाई। अब ये जेल की सलाखों के पीछे अपने किए की सजा भुगतेंगे।
क्यों अहम है ये चार्जशीट?
यह सिर्फ कागज का टुकड़ा नहीं है, यह उन परिवारों के लिए मरहम है जिन्होंने अपनों को खोया। एनआईए ने तकनीकी सबूतों, फॉरेंसिक रिपोर्ट्स और डिजिटल डेटा के जरिए एक मजबूत केस तैयार किया है। इससे दुनिया के सामने फिर साबित हो गया है कि कश्मीर में खून-खराबे के पीछे सीधा हाथ पाकिस्तान का है।
भले ही जख्म भरने में वक्त लगे, लेकिन यह कार्रवाई बताती है कि "देर है, पर अंधेर नहीं।" कानून के हाथ लंबे होते हैं और वो साजिद जट की गिरेबान तक भी जरूर पहुंचेंगे।
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