Sharadiya Navratri 2025 : सिर्फ़ ये 9 दिन की कथा बदल देगी आपकी तकदीर ,माँ दुर्गा देंगी अखंड वरदान
News India Live, Digital Desk: Sharadiya Navratri 2025 : हमारे देश में नवरात्रि का त्यौहार बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है. यह माँ दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों को समर्पित नौ दिनों का पावन पर्व है, जो शक्ति की उपासना का प्रतीक है. इन नौ दिनों में माता रानी की पूजा के साथ-साथ व्रत कथा सुनने और पढ़ने का भी बहुत महत्त्व होता है. मान्यता है कि इस कथा को सुनने मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है. यह कथा सिर्फ़ एक कहानी नहीं, बल्कि अधर्म पर धर्म की जीत का संदेश है.
तो आइए सुनते हैं यह प्राचीन और प्रेरणादायक व्रत कथा...
नवरात्रि व्रत कथा: अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की विजय
यह कथा बहुत समय पहले की है, जब पृथ्वी पर महिषासुर नाम के एक भयंकर राक्षस ने बड़ा उत्पात मचा रखा था. महिषासुर एक ऐसा शक्तिशाली राक्षस था, जिसे ब्रह्मा जी से एक विशेष वरदान मिला हुआ था. उस वरदान के अनुसार, उसे कोई भी देवता, मनुष्य या पशु नहीं मार सकता था, यानी कोई भी पुरुष उसका वध नहीं कर सकता था. इस वरदान ने उसे बहुत घमंडी बना दिया था.
अपने वरदान के नशे में चूर महिषासुर ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा दिया. उसने देवताओं के निवास स्थान स्वर्ग लोक पर हमला कर दिया और देवराज इंद्र को पराजित कर सिंहासन पर कब्ज़ा कर लिया. सभी देवी-देवता डरकर मारे-मारे फिरने लगे. कोई भी उसे हराने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था, क्योंकि किसी भी पुरुष को उसे मारने का वरदान नहीं था.
महिषासुर के अत्याचार से पीड़ित होकर सभी देवी-देवता त्राहिमाम करने लगे. वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के पास पहुँचे और अपनी व्यथा सुनाई. देवताओं की ये हालत देखकर त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) और अन्य देवताओं को बहुत क्रोध आया.
इसी क्रोध और ऊर्जा से एक दिव्य प्रकाश पुंज उत्पन्न हुआ. यह प्रकाश धीरे-धीरे एक अद्भुत, तेज़स्वी और सर्वशक्तिमान देवी के रूप में परिवर्तित हो गया. इस देवी को 'माँ दुर्गा' कहा गया. माँ दुर्गा का स्वरूप इतना भव्य और शक्तिशाली था कि उन्हें देखते ही तीनों लोकों में भय और श्रद्धा दोनों भर गईं. भगवान शंकर ने उन्हें अपना त्रिशूल दिया, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्रदेव ने वज्र, ब्रह्मा जी ने कमंडल, और अन्य देवी-देवताओं ने भी उन्हें अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र और आभूषण प्रदान किए. सिंह की सवारी करते हुए माँ दुर्गा युद्ध के मैदान में उतरीं.
महिषासुर जब यह देख रहा था तो पहले तो उसने मजाक उड़ाया, लेकिन जब माँ दुर्गा की सेना ने उसके असुरों का संहार करना शुरू किया तो वह विचलित हो उठा. एक भयंकर युद्ध छिड़ गया, जिसमें माँ दुर्गा ने महिषासुर के सभी बड़े-बड़े सेनापतियों और राक्षसों का अंत कर दिया.
महिषासुर कई रूप बदलने में माहिर था. कभी वह भैंसे का रूप लेता, कभी सिंह का, कभी मनुष्य का, और कभी विशाल हाथी का. लेकिन माँ दुर्गा अपने तीखे अस्त्र-शस्त्रों से उसके हर छल को नाकाम करती गईं. अंत में, जब महिषासुर ने फिर से भैंसे का रूप धारण किया, तब माँ दुर्गा ने अपनी शक्तियों का उपयोग कर उस पर आक्रमण किया. उन्होंने महिषासुर को अपने त्रिशूल से मार गिराया और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. इस तरह माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध करके तीनों लोकों को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई और शांति स्थापित की.
इस विजय के बाद सभी देवी-देवताओं ने माँ दुर्गा की जय-जयकार की और उनकी स्तुति गाई. तभी से माँ दुर्गा को 'महिषासुर मर्दिनी' कहा जाने लगा. नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा की इसी शक्ति और पराक्रम का स्मरण किया जाता है. इस कथा को सुनने से हमें यह सीख मिलती है कि चाहे बुराई कितनी भी ताक़तवर क्यों न हो, अंत में अच्छाई और सत्य की ही विजय होती है.
माँ दुर्गा के इन नौ रूपों की पूजा करने से भक्तों को जीवन के हर क्षेत्र में विजय, सुख, शांति और समृद्धि मिलती है. इस शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा की कृपा पाने के लिए इस पावन व्रत कथा को पूरे नौ दिनों तक भक्ति भाव से सुनें या पढ़ें. माँ दुर्गा सभी मनोकामनाएँ पूरी करती हैं और भक्तों की रक्षा करती हैं.
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