बिहार में पाताल में जा रहा पानी रिपोर्ट देखकर सीएम नीतीश कुमार भी टेंशन में, क्या आने वाला है जलसंकट
News India Live, Digital Desk : बिहार में हम लोग अक्सर बाढ़ (Flood) की बातें करते हैं कि नदियां उफान पर हैं। लेकिन, सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि जिस जमीन पर हम खड़े हैं, उसके नीचे का पानी (Groundwater) तेजी से गायब हो रहा है।
जी हाँ, यह कोई हवा-हवाई बात नहीं है। बिहार सरकार के पास जो ताज़ा रिपोर्ट आई है, उसने सीएम Nitish Kumar और उनके अफसरों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि सर्दी के मौसम में ही जब पानी का स्तर ठीक-ठाक होना चाहिए था, कई जिलों में यह नीचे खिसक गया है।
आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि आखिर मामला क्या है और सरकार इतनी परेशान क्यों है।
सर्दी में ही सूख रहे कंठ, गर्मी में क्या होगा?
आमतौर पर मानसून के बाद और सर्दियों में ग्राउंड वॉटर लेवल (Water Level) ऊपर रहता है। लेकिन लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (PHED) की जो रिपोर्ट सामने आई है, वो डराने वाली है। बिहार के कई जिलों में भूजल स्तर में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ रहा है।
- चापाकल (Handpumps) सूख रहे हैं: गांव-देहात में कई जगहों पर चापाकल पानी छोड़ने लगे हैं या उन्हें बहुत ज्यादा जोर लगाकर चलाना पड़ रहा है।
- नल-जल योजना पर खतरा: नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी 'हर घर नल का जल' योजना भी इसी भूजल पर टिकी है। अगर नीचे पानी ही नहीं रहेगा, तो टंकियों में पानी चढ़ेगा कैसे?
किन जिलों में ज्यादा आफत?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दक्षिण बिहार (South Bihar) के हालात ज्यादा खराब हैं। गया, औरंगाबाद, जहानाबाद और नवादा जैसे जिलों में 'वाटर लेयर' काफी नीचे चली गई है। लेकिन चिंता की बात यह है कि अब उत्तर बिहार के भी कुछ हिस्सों में जलस्तर गिरने लगा है, जहाँ पहले पानी की कोई कमी नहीं थी।
अंधाधुंध बोरिंग और कंक्रीट के जंगल (पक्के मकान/सड़कें) बनने की वजह से बारिश का पानी जमीन के अंदर नहीं जा पा रहा है, जो इस संकट की बड़ी वजह है।
सरकार अब क्या करेगी?
सीएम नीतीश कुमार, जो पहले से ही 'जल-जीवन-हरियाली' मिशन को लेकर बहुत गंभीर हैं, इस नई रिपोर्ट से काफी चिंतित हैं। सूत्रों की मानें तो सरकार अब कुछ सख्त कदम उठाने की तैयारी में है:
- सर्वेक्षण: अधिकारियों को हर ब्लॉक और पंचायत स्तर पर जलस्तर की निगरानी करने को कहा गया है।
- नए चेक डैम: पानी रोकने और उसे जमीन में भेजने (Water Recharge) के लिए नए तालाब और चेक डैम बनाए जाएंगे।
- बोरिंग पर सख्ती: शहरों में बेवजह समरसिबल लगाने पर और सख्ती हो सकती है।
हमार-तुहार जिम्मेदारी
दोस्तों, सरकार अपनी चिंता कर रही है, लेकिन थोड़ी चिंता हमें भी करनी होगी। अगर हमने अभी पानी नहीं बचाया, तो आने वाली गर्मियों में हाल बेहाल हो सकता है। बेवजह नल खुला छोड़ना बंद करें और जहां तक हो सके रेन वाटर हार्वेस्टिंग (Rain Water Harvesting) पर ध्यान दें।
क्योंकि पानी है, तो ही जिंदगानी है। वरना बिहार को प्यासा रहने से कोई नहीं बचा पाएगा।
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