Secret of Garuda Purana: मृत्यु के बाद इन लोगों को नहीं मिलती नरक की यातना
News India Live, Digital Desk: Secret of Garuda Purana: हिंदू धर्म के प्रमुख महापुराणों में से एक, गरुड़ पुराण, मृत्यु और उसके उपरांत की यात्रा का विस्तृत लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है। भगवान विष्णु और गरुड़ देव के बीच हुए संवाद पर आधारित यह ग्रंथ, हमें जीवन में ऐसे कर्म करने की शिक्षा देता है जो आत्मा को मृत्यु के बाद यमलोक में किसी भी प्रकार के दंड से बचाते हैं और मोक्ष या स्वर्ग की प्राप्ति की ओर ले जाते हैं।
गरुड़ पुराण के अनुसार, वे पुण्य आत्माएं जिन्हें कभी भी नरक के भयावह कष्टों से होकर नहीं गुजरना पड़ता, वे हैं जो अपने जीवनकाल में सदैव ईमानदारी, सच्चाई और धर्मपरायणता के मार्ग पर चलते हैं। यह उन व्यक्तियों को संबोधित करता है जिनका हृदय दयालुता से भरा होता है, जो मन में कभी किसी के प्रति छल-कपट नहीं रखते, और जिनके प्रत्येक कार्य में निस्वार्थ भाव से परोपकार की भावना निहित होती है। जो मनुष्य अपने माता-पिता, गुरुजनों और बड़ों का हृदय से सम्मान करते हैं, उनकी आज्ञाओं का पालन करते हैं, और उन्हें कभी किसी भी रूप में कष्ट नहीं पहुंचाते, उन्हें इस जीवन के बाद किसी भी भय का सामना नहीं करना पड़ता।
शास्त्रों में यह भी वर्णित है कि जो लोग गरीबों, असहायों, ज़रूरतमंदों और बीमारों की हर संभव सहायता करते हैं, उन्हें अन्न-वस्त्र का दान देते हैं, और किसी भी प्राणी को बेवजह कष्ट नहीं देते, वे सभी प्रकार के दुखों से मुक्त होते हैं। गौ सेवा करने वाले और समस्त पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम और सहानुभूति रखने वाले व्यक्तियों को भी मृत्यु के बाद उत्तम गति प्राप्त होती है। इसके अलावा, जो व्यक्ति धन-संपत्ति के मामले में पूरी तरह से ईमानदार होते हैं, कभी किसी का धन या हक बेईमानी से नहीं हड़पते, और जो अपने वचनों के पक्के होते हैं, उन्हें नरक की बजाय परमधाम में स्थान मिलता है।
जो मनुष्य नियमित रूप से ईश्वर का स्मरण करते हैं, पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं, और अपने जीवन को सदैव पवित्रता के साथ जीते हैं, ऐसे धार्मिक और सत्यनिष्ठ आत्माएं यमराज के प्रकोप से पूर्णतः मुक्त रहती हैं। संक्षेप में, गरुड़ पुराण यह गहन ज्ञान प्रदान करता है कि एक ऐसा जीवन जो पुण्य, नैतिकता और सेवा भाव पर आधारित होता है, जहाँ सत्य, अहिंसा, और त्याग का महत्व होता है, ऐसी आत्माएं मृत्यु के बाद शांति प्राप्त करती हैं और नरक के मार्ग से दूर रहती हैं। उन्हें सद्गति मिलती है या फिर किसी श्रेष्ठ योनि में पुनर्जन्म का अवसर प्राप्त होता है, जिससे वे कष्टमय संसार के बंधनों से मुक्त हो पाते हैं।
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