SEBI ने हटाए म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर के ट्रांजेक्शन चार्जेस: जानिए क्या बदला?

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भारतीय शेयर बाजार के नियामक, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटरों से जुड़े ट्रांजेक्शन चार्जेस को पूरी तरह खत्म करने का बड़ा फैसला लिया है। यह नया नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है, जिसका मकसद डिस्ट्रीब्यूटर भुगतान प्रणाली को अधिक पारदर्शी और आसान बनाना है।

ट्रांजेक्शन चार्जेस क्या थे?

पहले म्यूचुअल फंड निवेश पर निवेशकों से ₹10,000 या उससे अधिक की राशि लाने पर डिस्ट्रीब्यूटरों को एक निश्चित ट्रांजेक्शन चार्ज मिलता था। यह चार्ज ग्राहकों से सीधे वसूल कर डिस्ट्रीब्यूटर को कमीशन के रूप में दिया जाता था। SEBI ने अब इस व्यवस्था से हटकर स्पष्ट किया है कि म्यूचुअल फंड कंपनियों को डिस्ट्रीब्यूटरों का भुगतान सीधे कमीशन या फीस के रूप में करना होगा, न कि ट्रांजेक्शन चार्ज के माध्यम से।

SEBI ने यह बदलाव क्यों किया?

पारदर्शिता बढ़ाना: ट्रांजेक्शन चार्ज के दायरे को खत्म कर भुगतान प्रक्रिया को साफ़ और पारदर्शी बनाया जाएगा।

सरल भुगतान मॉडल: अब म्यूचुअल फंड कंपनियां सीधे अपने एजेंटों को कमीशन देंगी, जिससे ग्राहकों को अतिरिक्त चार्ज नहीं देना पड़ेगा।

निवेशक संरक्षण: यह कदम निवेशकों के हितों की रक्षा करता है, क्योंकि इससे छुपे हुए शुल्क और गैर-ज़रूरी खर्चे रुकेंगे।

यह नियम कब से लागू हुआ?

यह निर्णय 27 जून 2024 के मास्टर सर्कुलर के प्रावधानों को खत्म करते हुए इस साल जुलाई 2025 से तुरंत लागू कर दिया गया है।

म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटरों और निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है?

डिस्ट्रीब्यूटर अब ट्रांजेक्शन चार्ज के माध्यम से भुगतान नहीं प्राप्त करेंगे।

कंपनियों को सीधे कमीशन या फीस के रूप में भुगतान करना होगा।

निवेशकों के लिए निवेश लागत थोड़ी कम हो सकती है क्योंकि ट्रांजेक्शन चार्ज बंद होगा।

डिस्ट्रीब्यूटरों को अधिक पारदर्शी और कानूनी भुगतान व्यवस्था का लाभ मिलेगा।

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