राजस्थान के श्रीगंगानगर में दिल दहलाने वाला कांड गौशाला के अंदर दफन मिला 100 से ज्यादा गायों का सच

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News India Live, Digital Desk :  राजस्थान, जिसे वीरों की भूमि और गौ-सेवा के लिए जाना जाता है, वहां के श्रीगंगानगर (Sri Ganganagar) जिले से एक ऐसी खबर आई है, जिसे सुनकर किसी भी संवेदनशील इंसान की आंखों में आंसू आ जाएंगे। जिसे लोग 'सेवा का मंदिर' यानी गौशाला समझकर दान-पुण्य करते थे, वहां से सैकड़ों बेजुबान गायों के मरने की खबर ने सबको सन्न कर दिया है।

यह पूरा मामला रायसिंहनगर के पास स्थित भमपुरा गौशाला (Bhompura Gaushala) का है। यहाँ जो लापरवाही सामने आई है, उसने मानवता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

मिट्टी के नीचे दफन थीं सैकड़ों लाशें

बात तब खुली जब आसपास के ग्रामीणों को गौशाला की तरफ से तेज दुर्गंध आनी शुरू हुई। जब कुछ लोग वहां पहुंचे, तो मंजर देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। पता चला कि पिछले कुछ ही दिनों में वहां 100 से ज्यादा गायों (Cows) की मौत हो चुकी है। और तो और, बात को छिपाने के लिए मृत गायों को गौशाला के ही एक हिस्से में बड़े-बड़े गड्ढे खोदकर दफना दिया गया था।

जेसीबी मशीनें चलाकर शवों को दबाया जा रहा था। जब गांव वालों ने इसका विरोध किया और वीडियो वायरल हुए, तब जाकर प्रशासन की नींद खुली।

सर्दी या भूख? आखिर कैसे गई जान?

शुरुआत में कहा जा रहा है कि गायों की मौत ठंड और निमोनिया की वजह से हुई। लेकिन स्थानीय लोग इस दलील को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। वहां के हालात चीख-चीख कर बता रहे हैं कि गायें भूख और प्यास से तड़पी थीं।

गांव वालों का आरोप है कि गौशाला में क्षमता से ज्यादा गायें भरी हुई थीं, लेकिन उनके खाने-पीने का कोई उचित इंतज़ाम नहीं था। जो गायें कमजोर या बीमार थीं, उन्हें इलाज की जगह भगवान भरोसे छोड़ दिया गया। कीचड़ और गंदगी के बीच इन बेजुबानों ने दम तोड़ दिया। यह मौत नहीं, बल्कि 'सिस्टम द्वारा की गई हत्या' जैसा लग रहा है।

एक्शन में आया प्रशासन

मामला इतना बढ़ गया कि तहसीलदार और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची। भारी बवाल को देखते हुए गौशाला समिति के अध्यक्ष को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। प्रशासन ने अब गौशाला की जिम्मेदारी अस्थायी तौर पर स्थानीय ग्राम विकास अधिकारी और सरपंच को सौंप दी है ताकि बची हुई गायों की जान बचाई जा सके।

जिला कलेक्टर ने जांच के आदेश दे दिए हैं। डॉक्टरों की टीम अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि मौत की असली वजह क्या थी। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि इतनी बड़ी लापरवाही इतने दिनों तक कैसे छिपी रही?

जो लोग गौ-सेवा के नाम पर राजनीति करते हैं या फंड इकट्ठा करते हैं, उनके लिए श्रीगंगानगर की यह घटना एक बड़ा तमाचा है। अब देखना यह होगा कि क्या इन बेजुबानों को इन्साफ मिलता है या फिर जांच रिपोर्ट फाइलों में दबकर रह जाएगी।

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