Seasonal Phenomena : आने वाली है लंबी और ठंडी सर्दी? दिल्ली की ठिठुरन में छिपा है ला नीना का राज

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News India Live, Digital Desk: Seasonal Phenomena : हाल ही में, दिल्ली और आसपास के इलाकों में लोगों को समय से पहले ही गुलाबी ठंड का अहसास होने लगा है. यह सामान्य से थोड़ा जल्दी है, और बहुत से लोग सोच रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. एक्सपर्ट्स इसके पीछे "ला नीना" नाम की एक प्राकृतिक मौसम घटना को एक वजह मान रहे हैं. तो आइए समझते हैं कि आखिर ये ला नीना क्या है और इसका भारत के मौसम पर क्या असर पड़ता है.

तो आखिर क्या है ये "ला नीना"?

आसान भाषा में कहें तो 'ला नीना' प्रशांत महासागर में होने वाला एक समुद्री-वायुमंडलीय बदलाव है. यह अल नीनो के ठीक उल्टा होता है. जब मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर की सतह का पानी सामान्य से ज्यादा ठंडा हो जाता है, तब ला नीना की स्थिति बनती है. इससे हवाओं और समुद्र के तापमान में भी बदलाव आता है, जिसका असर पूरी दुनिया के मौसम पर दिखाई देता है. यह आमतौर पर 9 से 12 महीने तक रह सकता है, लेकिन कभी-कभी कुछ साल तक भी इसका असर बना रहता है.

ला नीना का भारत पर क्या असर होता है?

भारत के लिए, ला नीना को आमतौर पर एक अच्छी खबर माना जाता है, खासकर मॉनसून के मौसम के लिए.

  • अच्छा मॉनसून: ला नीना के साल में भारत में अक्सर सामान्य या सामान्य से ज़्यादा मॉनसून बारिश होती है. इसका मतलब है कि किसानों को फसल के लिए अच्छा पानी मिलता है और जलाशयों में भी पर्याप्त पानी इकट्ठा होता है.
  • ठंडी और लंबी सर्दियाँ: ला नीना का एक और बड़ा असर सर्दियों पर पड़ता है. जब ला नीना सक्रिय होता है, तो भारत में सर्दियाँ लंबी और ज्यादा ठंडी पड़ने की संभावना होती है. दिल्ली में इस बार जल्दी ठंड शुरू होने का एक कारण पिछली ला नीना घटना का देर तक बना रहना भी हो सकता है, जिसका असर अभी तक खत्म नहीं हुआ है.

दरअसल, ला नीना प्रशांत महासागर में बदलाव लाकर पूरे वैश्विक मौसम चक्र को प्रभावित करता है. इससे कुछ इलाकों में बारिश बढ़ती है, तो कुछ जगहों पर सूखे की स्थिति बन सकती है. इसी वजह से हमारे देश में भी मॉनसून और सर्दियों पर इसका गहरा असर देखने को मिलता है. इस साल दिल्ली में महसूस हो रही यह जल्दी वाली ठंड ला नीना के ही पुराने या नए प्रभावों का संकेत हो सकती है. हालांकि, मौसम विज्ञानी इस पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और भविष्य के पूर्वानुमानों के लिए आंकड़े जुटा रहे हैं.

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