Saubhagya Sundari Teej : 8 नवंबर को कर लें यह व्रत, बदल सकता है भाग्य, मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान

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News India Live, Digital Desk: Saubhagya Sundari Teej : हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ और हरतालिका तीज की तरह ही कई अन्य व्रत भी हैं जो अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं। इन्हीं में से एक बेहद खास व्रत है 'सौभाग्य सुंदरी तीज'। यह व्रत हर साल मार्गशीर्ष (अगहन) महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस साल 2025 में यह शुभ तिथि शनिवार, 8 नवंबर को पड़ रही है।

माना जाता है कि यह व्रत इतना प्रभावशाली है कि इसे पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करने पर भाग्य बदल सकता है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। यह व्रत न सिर्फ सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान देता है, बल्कि अविवाहित कन्याओं के लिए भी यह उत्तम फलदायी माना गया है।

क्यों इतना खास है सौभाग्य सुंदरी तीज का व्रत?

इस व्रत का सीधा संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है, जिन्हें सृष्टि का सबसे आदर्श दंपत्ति माना जाता है। इस दिन उनकी पूजा करने से:

  • अखंड सौभाग्य की प्राप्ति: सुहागिन महिलाओं को पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है।
  • सुखी वैवाहिक जीवन: पति-पत्नी के बीच चल रहे मतभेद दूर होते हैं और रिश्ते में प्रेम और मिठास घुल जाती है।
  • मनचाहे वर की कामना: अविवाहित कन्याएं यदि यह व्रत करें तो उनके विवाह में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और उन्हें भगवान शिव जैसे आदर्श वर की प्राप्ति होती है।
  • मांगलिक दोष होता है दूर: ऐसी भी मान्यता है कि इस व्रत को करने से कुंडली में मौजूद मांगलिक दोष का प्रभाव भी कम होता है।

क्या है सौभाग्य सुंदरी तीज की व्रत कथा?

इस व्रत की कथा माता सती के अटूट प्रेम और संकल्प से जुड़ी है। कथा के अनुसार, जब राजा दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव का अपमान हुआ तो माता सती इसे सहन नहीं कर सकीं और उन्होंने यज्ञ की अग्नि में ही आत्मदाह कर लिया। अपने प्राण त्यागते समय उन्होंने यह संकल्प लिया कि चाहे कितने भी जन्म लेने पड़ें, वे हर जन्म में भगवान शिव को ही अपने पति के रूप में पाएंगी।

अपने अगले जन्म में वे हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में जन्मीं और अपने संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की। उनकी इसी तपस्या और अटूट भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। माना जाता है कि तभी से इस दिन को अखंड सौभाग्य की कामना के लिए 'सौभाग्य सुंदरी तीज' के रूप में मनाया जाने लगा।

कैसे करें पूजा?

इस दिन महिलाएं सुबह स्नान आदि करके सोलह श्रृंगार करती हैं। इसके बाद एक चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करती हैं। माता पार्वती को सुहाग की सामग्री अर्पित की जाती है और पूरे शिव परिवार की पूजा के बाद कथा सुनी जाती है। इस दिन श्रद्धापूर्वक किया गया पूजन जीवन की सभी समस्याओं को दूर कर सौभाग्य का दरवाजा खोल सकता है।

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