Ritesh & Kajal Story : जब दो दिमाग मिले, तो इतिहास बन गया जानिए कैसे 10 महीने में profitable बना यह स्टार्टअप
News India Live, Digital Desk : हम अक्सर सुनते हैं कि "हर सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है," लेकिन यहाँ कहानी थोड़ी अलग है। यहाँ सफलता के पीछे एक 'जज्बा' है जो टूटने के बाद और मजबूत हो गया।
आज की यह कहानी काजल दवे और रितेश जैन की है, जिन्होंने साबित कर दिया कि अगर विज़न क्लियर हो, तो फंड्स (पैसे) की कमी कभी रुकावट नहीं बनती। उनकी कंपनी 'लॉन्च्ड ग्लोबल' (Launched Global) ने सिर्फ़ 10 महीनों में 10.5 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जनरेट किया है। जी हाँ, वो भी बिना किसी बाहरी निवेशक (Investor) के!
शुरुआत कैसे हुई? (एक कठिन समय से निकली उम्मीद)
बात 2024 की है। काजल दवे एक पर्सनल और प्रोफेशनल झटके से गुजर रही थीं। अपनी पिछली कंपनी से अलग होने और पर्सनल लाइफ में एक ब्रेकअप के बाद, अक्सर लोग हिम्मत हार जाते हैं। लेकिन काजल ने इस दर्द को अपनी ताकत बनाया। उन्होंने ठाना कि वो खुद कुछ ऐसा शुरू करेंगी जो युवाओं की जिंदगी बदलेगा।
उसी दौरान, रितेश जैन न्यूज़ीलैंड से MBA करके भारत लौटे थे। वे भी भारत के युवाओं के लिए कुछ करना चाहते थे। सितंबर 2024 में दोनों की मुलाकात बेंगलुरु में हुई। बस फिर क्या था! दोनों के विचार मिले, और जन्म हुआ—Launched Global का।
सिर्फ 10 महीने और 10.5 करोड़!
जनवरी 2025 में उन्होंने काम शुरू किया। सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने किसी इनवेस्टर से पैसा नहीं मांगा। यह पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड (Bootstrapped) स्टार्टअप था, यानी खुद की बचत से शुरू किया गया।
नतीजा? महज 10 महीनों में उन्होंने 25,000 से ज्यादा छात्रों को अपने प्लेटफॉर्म से जोड़ा और कंपनी को फायदे (Profitable) में ले आए। स्टार्टअप की दुनिया में इतनी जल्दी प्रॉफिट कमाना लोहे के चने चबाने जैसा होता है।
आखिर ये कंपनी करती क्या है?
Launched Global कोई साधारण कोचिंग सेंटर नहीं है। यह तीन मुख्य चीज़ों पर काम करती है जो आज के युवाओं की सबसे बड़ी ज़रूरतें हैं:
- अपस्किलिंग (Upskilling): कॉलेज की पढ़ाई काफी नहीं है। यह कंपनी बच्चों को AI, डेटा साइंस और साइबर सिक्योरिटी जैसे कोर्स सिखाती है, वो भी मेंटरशिप के साथ।
- विदेश में पढ़ाई (Study Abroad): बहुत से बच्चे विदेश जाना चाहते हैं लेकिन डरते हैं। यह स्टार्टअप दुनिया की 500 से ज्यादा यूनिवर्सिटीज में एडमिशन, वीज़ा और स्कॉलरशिप दिलाने में मदद करता है।
- हेल्थकेयर जॉब्स (Jobs in Germany): यह बड़ा इंट्रेस्टिंग है! जर्मनी में नर्सेज (Nurse) की बहुत कमी है। रितेश और काजल की टीम भारतीय मेडिकल स्टाफ को ट्रेन करती है और जर्मनी में नौकरी लगवाती है।
सफलता का मंत्र
काजल और रितेश कहते हैं कि शुरुआत में मुश्किलें बहुत आईं—टीम बनाना, भरोसा जीतना आसान नहीं था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज उनका बेंगलुरु हेडक्वार्टर सपनों को सच करने वाली फैक्ट्री बन गया है।
यह कहानी उन सभी के लिए एक सबक है जो सोचते हैं कि बिज़नेस करने के लिए बहुत सारे पैसे चाहिए। नहीं, आपको बस एक सही आईडिया और कभी न हार मानने वाली जिद्द चाहिए।
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