RBI ने नियमों की सफाई के लिए बनाई 30 सदस्यीय टीम—पुराने और फालतू रेगुलेशन होंगे खत्म, बैंकिंग कंपनियों को मिलेगी राहत
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पुराने, अप्रासंगिक और जटिल रेगुलेशन को हटाने के लिए 30 अधिकारियों की स्पेशल Regulatory Review Cell (RRC) का गठन किया है। इसका मकसद बैंकिंग और वित्तीय सेक्टर के सभी नियमों की जांच कर, जिन नियमों की अब जरूरत नहीं है, उन्हें खत्म करना है—जिससे कंपनियों पर अनावश्यक बोझ और कंफ्यूजन कम हो।
कितने रेगुलेशन हटेंगे?
फिलहाल RBI के पास करीब 8,000 रेगुलेशन, सर्कुलर, मास्टर डाइरेक्शन और नोटिफिकेशन हैं।
इनमें से करीब 5,000 फालतू या पुराने हो गए हैं, जो अब सिर्फ ऑपरेशनल झंझट बढ़ाते हैं।
RRC का मकसद इन्हें घटाकर 3,000 अक्तिव और पूरी तरह प्रासंगिक रेगुलेशन रखना है।
पहले फेज़ में 33 मुख्य विषयों की समीक्षा होगी।
RBI गवर्नर ने क्या कहा?
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा:
“हम नया फ्रेमवर्क नहीं ला रहे, बस पुराने और अनुपयोगी रेगुलेशनों को हटाकर सिस्टम को सरल, ट्रांसपेरेंट और यूज़र सेंट्रिक बना रहे हैं। हमारा मकसद नियमों की समीक्षा हर 5-7 साल में करना है।”
इससे:
कंप्लायंस कॉस्ट कम होगी।
नियम ज्यादा साफ-सुथरे और सरल बनेंगे।
कंपनियों के प्रबंधन का फोकस रणनीति पर रहेगा, ऑपरेशनल झंझटों पर नहीं।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?
एक्सपर्ट्स, जैसे अर्थशास्त्री अशिमा गोयल, ने इस कदम की सराहना की और कहा कि यह पारदर्शिता लाएगा और इंडस्ट्री का बोझ कम करेगा।
पुरानी RRA 2.0 पहल ने 1,000+ पुराने सर्कुलर हटाए थे, लेकिन RRC से रेगुलेटरी हाइजीन एक स्थायी प्रैक्टिस बन जाएगी।
कानूनी सलाहकारों के अनुसार, जब तक पुराने सर्कुलर हटाए नहीं जाएंगे, तब तक इंडस्ट्री में कन्फ्यूजन बनी रहेगी; संकलन काफी नहीं है—क्लीनअप चाहिए।
CareEdge Ratings के डायरेक्टर के मुताबिक, इसका असर थोड़े समय में दिखेगा, ये एक क्रमिक (ग्रैजुअल) प्रक्रिया है, न कि ओवरनाइट बदलाव।
RBI की नई रणनीति—बैंकिंग इतिहास में नया दौर
यह कदम विरासत में मिले नियमों, छूट और नियंत्रण को एक समान करने, संभव अनियमितता (arbitrage) और कानूनी पेचीदगियों को खत्म करने की ओर बड़ा कदम है। सबसे बड़ी बात, अब हर रेगुलेशन का औचित्य और असर बार-बार जांचा जाएगा। ज्यादा साफ-सुथरे, व्यावहारिक और संस्थागत नियमों से सभी कंपनियों को लंबे समय में फायदा मिलेगा।
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