एयर प्यूरिफायर को रामदेव ने बताया अमीरों का चोचला, बोले घर में पर्दा लगा लो, हवा साफ हो जाएगी
News India Live, Digital Desk : दिल्ली और एनसीआर (NCR) में आजकल साँस लेना सिगरेट पीने जैसा हो गया है। बाहर निकलो तो धुआं, घर में रहो तो घुटन। घबराहट में लोग अपनी जमा-पूंजी एयर प्यूरिफायर (Air Purifier) खरीदने में लगा रहे हैं। सबको लगता है कि शायद ये मशीन जान बचा लेगी। लेकिन अगर आप योग गुरु बाबा रामदेव की मानें, तो आप फिजूलखर्ची कर रहे हैं।
जी हां, बाबा रामदेव ने साफ शब्दों में कह दिया है कि एयर प्यूरिफायर की आम आदमी को कोई जरूरत नहीं है, ये सब "अमीरों के चोचले" हैं। उनका यह बयान अब चर्चा का विषय बन गया है।
"मशीन की क्या जरूरत, जब फेफड़े मजबूत हों?"
एक मीडिया इंटरव्यू के दौरान जब बाबा रामदेव से दिल्ली के खतरनाक प्रदूषण (AQI) के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि लोग बेकार में डर रहे हैं और मंहगी मशीनें खरीद रहे हैं। उनके मुताबिक, अगर इंसान अपने फेफड़ों को अंदर से मजबूत कर ले, तो बाहर का धुआं उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।
लेकिन सवाल यह है कि बिना मशीन के इस जहरीली हवा को घर में घुसने से कैसे रोकें? इस पर बाबा का जवाब काफी दिलचस्प था।
बाबा का 'पर्दे' वाला फार्मूला
रामदेव ने प्रदूषण रोकने का एक ऐसा देसी तरीका बताया है जिसे सुनकर आप सोच में पड़ सकते हैं। उन्होंने सलाह दी है कि लोग अपने घर की खिड़कियों और दरवाजों पर मोटे पर्दे (Heavy Curtains) लगाएं।
उनका लॉजिक बड़ा सीधा है—पर्दे बाहर की धूल और प्रदूषण के कणों को कमरे के अंदर आने से रोक लेते हैं। बस आपको इतना करना है कि हफ्ते-दस दिन में उन पर्दों को उतारकर धोते रहना है, क्योंकि सारी गंदगी उन्हीं पर चिपकी रह जाएगी। उनका दावा है कि लाखों की मशीन जो काम करती है, वो घर का पर्दा मुफ्त में कर देगा।
"विकास होगा, तो धूल तो उड़ेगी ही"
रामदेव ने प्रदूषण बढ़ने के पीछे एक और दलील दी। उनका कहना था कि जब देश में तरक्की होती है, सड़कें बनती हैं, इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा होता है, तो थोड़ी बहुत धूल-मिट्टी तो उड़ती ही है। इसे वो विकास प्रक्रिया का हिस्सा मानते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम डरकर बैठ जाएं।
समाधान: सिर्फ योग और संयम
बाबा का आखिरी मंत्र वही पुराना और भरोसेमंद है—योग। उन्होंने लोगों को सलाह दी है कि प्रदूषण के डर से घर में दुबक कर मत बैठो, बल्कि रोज सुबह 'कपालभाति', 'अनुलोम-विलोम' और 'भस्त्रिका' प्राणायाम करो। उनका कहना है कि यह नेचुरल फ़िल्टर का काम करता है। अगर आप रोज प्राणायाम करेंगे, तो आपके फेफड़े खुद ही हवा को साफ़ कर लेंगे और आपको किसी एयर प्यूरिफायर की जरूरत नहीं पड़ेगी।
जनता क्या सोच रही है?
बाबा की यह सलाह कुछ लोगों को बहुत पसंद आ रही है क्योंकि एयर प्यूरिफायर खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं। वहीं, कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब हवा का जहर (PM 2.5) इतना महीन है कि वो सांसों के जरिये खून में घुल रहा है, तो क्या सिर्फ पर्दा लगाना काफी होगा?
खैर, बहस अपनी जगह है, लेकिन बाबा रामदेव ने एयर प्यूरिफायर कंपनियों की मार्केटिंग स्ट्रैटेजी पर एक तगड़ी चोट तो कर ही दी है। अब आप क्या चुनते हैं महंगी मशीन या बाबा का 'पर्दा' और 'प्राणायाम'? फैसला आपका है।
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