Rajasthan news : अजमेर की शान सात अजूबे पर चलेगा बुलडोजर, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया आखिरी फैसला

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News India Live, Digital Desk:  वो जगह जहां लोग ताजमहल और एफिल टॉवर के साथ अपनी तस्वीरें खिंचवाते थे, जो अजमेर की नई पहचान बन चुका था, अब वह सिर्फ यादों में रह जाएगा। एक बड़े और चौंकाने वाले फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने अजमेर के मशहूर 'सेवन वंडर्स पार्क' को तोड़ने का आदेश सुना दिया है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों रुपये खर्च करके बनाए गए इस पार्क पर अब बुलडोजर चलना तय है।

इस खबर के आते ही अजमेर नगर निगम और स्मार्ट सिटी के अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। जिस पार्क को वे अपनी बड़ी उपलब्धियों में गिनते थे, अब उसे खुद ही तोड़ने की नौबत आ गई है।

क्यों आया यह फैसला?

यह पूरा मामला खूबसूरती और पर्यावरण के बीच की लड़ाई का है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि इस पार्क का निर्माण उस जगह पर किया गया है, जहां इसे कभी नहीं बनाया जाना चाहिए था।

  • झील की जमीन पर कब्जा: यह पार्क अजमेर की ऐतिहासिक आनासागर झील के कैचमेंट एरिया, यानी भराव क्षेत्र में बनाया गया था। यह एक संरक्षित वेटलैंड (आर्द्रभूमि) है, जिस पर किसी भी तरह का पक्का निर्माण पूरी तरह से गैर-कानूनी है।
  • NGT का आदेश था बरकरार: इससे पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भी इस पार्क को पर्यावरण के लिए खतरा बताते हुए इसे तोड़ने का आदेश दिया था। अजमेर नगर निगम ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, लेकिन अब देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी NGT के फैसले को सही ठहराते हुए इस अपील को खारिज कर दिया है।

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने अधिकारियों के रवैये पर भी नाराजगी जताई कि कैसे उन्होंने झील के संरक्षण के नियमों को ताक पर रखकर इतने बड़े निर्माण की इजाजत दे दी।

अब सिर्फ यादों में रहेंगे सात अजूबे

अजमेर का यह सेवन वंडर्स पार्क शहर के लोगों और बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण का केंद्र था। यहां दुनिया के सात अजूबों की खूबसूरत नकलें (रेप्लिका) बनाई गई थीं। यह पार्क प्री-वेडिंग शूट से लेकर परिवार के साथ शाम बिताने तक के लिए एक पसंदीदा जगह बन गया था।

लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के इस अंतिम फैसले के बाद, इन मुस्कुराती हुई तस्वीरों के पीछे का यह खूबसूरत बैकग्राउंड हमेशा के लिए इतिहास बन जाएगा। यह फैसला एक बड़ा सबक है कि विकास और सुंदरता के नाम पर पर्यावरण के नियमों की अनदेखी कितनी भारी पड़ सकती है।

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