राहुल गांधी की खटाखट स्कीम जैसा आईडिया विदेश में भी नहीं चला जनता ,बोली मेहनत की कमाई पर हमारा हक

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News India Live, Digital Desk : भारत में पिछले कुछ समय से 'विरासत टैक्स' (Inheritance Tax) और संपत्ति को दोबारा बांटने (Wealth Redistribution) पर काफी बहस चल रही है। आपको याद होगा कि लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी की 'खटाखट' स्कीम और सैम पित्रोदा के विरासत टैक्स वाले बयानों ने कितना तूल पकड़ा था। भारत में तो जनता ने अपना फैसला सुना दिया था, लेकिन अब यूरोप के एक अमीर देश स्विट्ज़रलैंड (Switzerland)से  एक ऐसी खबर आई है, जो इसी मुद्दे से जुड़ी है।

वहां की जनता के सामने एक प्रस्ताव रखा गया था कि अमीरों की दौलत पर भारी-भरकम टैक्स लगाया जाए। लेकिन स्विट्ज़रलैंड के लोगों ने जो जवाब दिया, उसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है।

क्या था स्विट्ज़रलैंड का प्रस्ताव?

वहां की एक यूथ सोशलिस्ट पार्टी (Juso) ने मांग की थी कि देश के जो सुपर-रिच (बेहद अमीर) लोग हैं, उनकी विरासत पर 50% टैक्स लगाया जाए। उनका कहना था कि 50 मिलियन स्विस फ्रैंक (करीब 467 करोड़ रुपये) से ज्यादा की संपत्ति जिनके पास है, अगर उनकी मृत्यु हो जाती है, तो उनकी आधी संपत्ति सरकार ले ले और उसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने में लगाए।

सुनने में यह रॉबिनहुड जैसा लगता है— "अमीरों से लो और गरीब/समाज के लिए लगाओ।" लेकिन जब वोटिंग हुई, तो पासा पलट गया।

जनता ने बोला- "बिल्कुल नहीं!"

स्विट्ज़रलैंड में प्रत्यक्ष लोकतंत्र (Direct Democracy) है, यानी बड़े फैसले जनता वोट देकर लेती है। रविवार को जब इस मुद्दे पर जनमत संग्रह (Referendum) हुआ, तो करीब 67% लोगों ने इस टैक्स को 'रिजेक्ट' (No) कर दिया। सिर्फ 32% लोग ही इसके समर्थन में थे।

वहां की सरकार और आम जनता को डर था कि अगर ऐसा कानून आया, तो:

  1. देश के अमीर लोग और बड़ी कंपनियां स्विट्ज़रलैंड छोड़कर भाग जाएंगे।
  2. इससे इकोनॉमी को नुकसान होगा और नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी।
  3. लोगों का मानना था कि "मेहनत की कमाई पर परिवार का हक़ होना चाहिए, न कि आधा हिस्सा सरकार ले जाए।"

भारत से कनेक्शन और 'खटाखट' यादें

इस फैसले को देखने के बाद भारत के लोगों को भी कुछ महीने पहले की राजनीति याद आ गई। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि अगर उनकी सरकार आई, तो वो एक सर्वे कराएंगे और देखेंगे कि किसके पास कितनी धन-दौलत है। उनके इस बयान और "खटाखट-खटाखट पैसा आने" वाली बात को बीजेपी ने विरासत टैक्स से जोड़कर बड़ा मुद्दा बनाया था।

हालांकि, भारत हो या स्विट्ज़रलैंड, जनता का मूड यही बताता है कि कोई भी अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई और पुश्तैनी जायदाद पर सरकार का इतना बड़ा कब्ज़ा बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है।

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