पंजाब का बेटा, पूरे देश का अभिमान मिलिए श्रवण सिंह से, जिन्हें मिला प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार का गौरव

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News India Live, Digital Desk : वीरता और जज्बे का जिक्र जब भी आता है, तो अक्सर हमारे जेहन में भारी-भरकम ढाल और बड़ी उम्र के योद्धाओं की छवि उभरती है। लेकिन कभी-कभी कुछ कहानियाँ हमें यह अहसास कराती हैं कि 'साहस' किसी उम्र का मोहताज नहीं होता। आज की ये कहानी पंजाब के रहने वाले एक नन्हे सिपाही की है जिसका नाम है श्रवण सिंह

श्रवण की बहादुरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस उम्र में बच्चे खिलौनों और खेल की दुनिया में मगन रहते हैं, उस उम्र में इस बच्चे ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपनी हिम्मत की नई इबारत लिख दी। यही वजह है कि आज पूरे देश की निगाहें उन पर हैं।

ऑपरेशन सिंदूर: जहाँ से शुरू हुआ श्रवण का सफर
'ऑपरेशन सिंदूर'—एक ऐसा समय जब परिस्थितियाँ बेहद तनावपूर्ण थीं। हमारे देश के सैनिक सीमा पर और चुनौतीपूर्ण इलाकों में मोर्चा संभाले हुए थे। ऐसे में श्रवण सिंह ने वो किया जो अच्छे-भले बड़ों के लिए सोचना भी मुश्किल हो। बिना डरे, बिना हिचके श्रवण ने अपनी तरफ से भारतीय सैनिकों की मदद करने का बीड़ा उठाया। चाहे उन्हें राशन पहुँचाने की बात हो या उनकी अन्य जरूरतों में साथ खड़ा होना, इस नन्हे बच्चे का सेवा भाव किसी अनुभवी सिपाही से कम नहीं था।

प्रधानमंत्री का प्यार और देश का सम्मान
श्रवण की इसी बेमिसाल वीरता और निस्वार्थ सेवा भाव को देखते हुए उन्हें 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' (PM's National Children’s Award) से नवाजा गया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब उन्हें सम्मानित किया, तो श्रवण के चेहरे की सादगी और उनके जज्बे ने हर किसी को भावुक कर दिया। यह पुरस्कार सिर्फ़ श्रवण का नहीं, बल्कि पंजाब की उस मिट्टी का है जिसने सदियों से देश को शूरवीर दिए हैं।

हम सबके लिए प्रेरणा हैं श्रवण
अक्सर हमें लगता है कि हम अकेले क्या बदल सकते हैं? या फिर हमारी क्या हैसियत है? लेकिन श्रवण सिंह जैसे बच्चे सिखाते हैं कि अगर मन में 'कुछ कर गुजरने' की इच्छा हो और दिल में देशभक्ति का जज्बा हो, तो रास्ते अपने आप मिल जाते हैं। श्रवण ने किसी इनाम के लिए सेना की सेवा नहीं की थी, बल्कि उनके मन में उन जवानों के प्रति सम्मान था जो अपनी रातों की नींद त्याग कर हमारी रक्षा करते हैं।

पंजाब की शान और माँ का लाड़ला
आज पंजाब का हर गांव श्रवण के नाम से गूंज रहा है। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें और उनकी निडरता के किस्से साझा किए जा रहे हैं। श्रवण की ये कहानी सिर्फ़ उनकी खुद की नहीं है, बल्कि उन हजारों बच्चों के लिए एक सीख है जो बड़े होकर देश का नाम रौशन करना चाहते हैं।

साहब, वीरता कोई पद नहीं है, ये एक विचार है। श्रवण सिंह जैसे बच्चों की वजह से ही हमें विश्वास होता है कि आने वाली नस्लें देश को एक मज़बूत भविष्य की ओर ले जाएँगी। आज पूरा देश इस जांबाज बच्चे को सलाम कर रहा है।

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