Punjab police double cross exposed: SP को 10 साल की जेल फेक एनकाउंटर को सच दिखाने के लिए मारी थी कांस्टेबलों को भी गोली!
News India Live, Digital Desk: Punjab police double cross exposed: पंजाब में पुलिस विभाग के भीतर से एक ऐसी घटना का न्याय हुआ है, जिसने न्याय प्रणाली में विश्वास को एक बार फिर पुख्ता किया है। जालंधर जिले में 2012 में हुई एक जघन्य फर्जी मुठभेड़ के मामले में, पंजाब पुलिस के पूर्व पुलिस अधीक्षक SP मुख्तियार सिंह को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। उन पर न सिर्फ एक व्यक्ति को गोली मारकर हत्या करने का आरोप था, बल्कि इस झूठे एनकाउंटर को 'सच्चा' दिखाने के लिए उन्होंने कथित तौर पर अपने ही साथ के दो कांस्टेबलों पर भी गोली चलाई थी।
यह पूरा मामला 17 जून 2012 का है, जब SP मुख्तियार सिंह और कुछ अन्य पुलिसकर्मी एक सड़क पर थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस दिन उन्होंने एक व्यक्ति को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया और बाद में इस घटना को एक 'मुठभेड़' का रंग देने की कोशिश की। हद तो तब हो गई जब अपनी इस जघन्य करतूत को प्रामाणिक बनाने और जांच अधिकारियों व जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए, SP ने कथित तौर पर अपने ही अधीनस्थ कांस्टेबलों – सतपाल और परविंदर – को भी गोली मार दी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। इस पैंतरेबाजी का मकसद यही था कि उच्च अधिकारियों को यह विश्वास दिलाया जा सके कि एक वास्तविक 'एनकाउंटर' हुआ है और इस दौरान उनके पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए हैं।
हालांकि, न्याय की राह हमेशा सीधी नहीं होती, पर सच्चाई एक न एक दिन सामने आ ही जाती है। यह मामला तब खुला जब घायल हुए दोनों कांस्टेबलों ने पुलिस और न्यायिक अधिकारियों के सामने घटना की असल सच्चाई उजागर कर दी। उन्होंने बताया कि किस तरह उनके अधिकारी ने उन्हें अपनी ही साजिश का मोहरा बनाया था। इसके बाद, गहन जांच-पड़ताल हुई और कोर्ट में यह साबित हो गया कि यह एक पूर्व-नियोजित हत्या थी जिसे मुठभेड़ का जामा पहनाने की कोशिश की गई थी।
लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, कोर्ट ने अंततः SP मुख्तियार सिंह को दोषी पाया और उन्हें 10 साल की सजा के साथ 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस फैसले ने न केवल मृतक और घायल पुलिसकर्मियों के परिवारों को कुछ हद तक न्याय दिलाया है, बल्कि पुलिस विभाग के भीतर जवाबदेही और कानून के राज का एक कड़ा संदेश भी दिया है। यह दिखाता है कि कोई कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून का उल्लंघन करने पर उसे आखिरकार अपने किए की सजा भुगतनी पड़ती है।
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