झारखंड में सियासी हलचल तेज ,5 दिसंबर से शुरू होगा विधानसभा का शीतकालीन सत्र
News India Live, Digital Desk: झारखंड की राजनीति में सर्दियों के साथ ही गर्माहट भी बढ़ने वाली है। हेमंत सोरेन सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र की तारीखों का ऐलान कर दिया है। यह सत्र 5 दिसंबर से शुरू होकर 11 दिसंबर तक चलेगा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया हालांकि सत्र की कुल अवधि सात दिनों की है, लेकिन इसमें कामकाज सिर्फ पांच दिनों के लिए ही होगा।इस छोटी सी अवधि में कई बड़े मुद्दों पर बहस और महत्वपूर्ण फैसलों की उम्मीद है, जिससे राज्य का सियासी पारा चढ़ना तय है।
सत्र की घोषणा के साथ ही सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों ने अपनी कमर कस ली है। एक तरफ जहां सरकार इस मौके का इस्तेमाल अपनी उपलब्धियां गिनाने और जरूरी विधेयकों को पारित कराने में करेगी, वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने भी सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की पूरी तैयारी कर ली है।
सत्र से पहले कैबिनेट के बड़े फैसले
दिलचस्प बात यह है कि विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले ही सरकार ने कैबिनेट की बैठक में 18 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है, जिनकी गूंज सदन में भी सुनाई देगी।इनमें से कुछ फैसले सीधे तौर पर आम जनता से जुड़े हुए हैं:
- 'देसी मांगुर' बनी झारखंड की राजकीय मछली: सरकार ने 'क्लेरियस मांगुर' को राज्य की राजकीय मछली घोषित कर दिया है।इस फैसले का मकसद इस मछली का संरक्षण करना और उसे बढ़ावा देना है।
- पुलिस बहाली के बदले नियम: 'इंडिया रिजर्व बटालियन' में कांस्टेबल की भर्ती के लिए होने वाली शारीरिक परीक्षा के नियमों में अहम बदलाव किया गया है।अब पुरुष उम्मीदवारों को 6 मिनट में 1600 मीटर की दौड़ पूरी करनी होगी, जबकि महिला उम्मीदवारों के लिए यही दौड़ 10 मिनट में पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है।
- शिक्षा और पर्यटन को मिलेगी रफ्तार: कैबिनेट ने राज्य के हर जिले के एक 'सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस' में STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) लैब स्थापित करने का फैसला किया है।इसके अलावा, देवघर में स्थित 'होटल बैद्यनाथ विहार' को सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP) मॉडल पर एक चार सितारा होटल के रूप में विकसित किया जाएगा।
सत्र में क्या हो सकता है खास?
इस शीतकालीन सत्र में कई महत्वपूर्ण विधायी और वित्तीय कार्यों को पूरा किए जाने की संभावना है। सरकार की कोशिश होगी कि वह लंबित बिलों को पास कराए। वहीं, विपक्ष कानून-व्यवस्था, बेरोजगारी और विकास योजनाओं की धीमी गति जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। चूंकि यह सत्र झारखंड के 25वें स्थापना दिवस समारोह के आसपास हो रहा है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह छोटा सा सत्र सिर्फ हंगामे की भेंट चढ़ेगा या फिर इसमें प्रदेश की जनता से जुड़े मुद्दों पर कोई सार्थक चर्चा भी हो सकेगी।
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