Pakistani Army Claims : बड़ा आतंकी हमला नाकाम, पर अपनी कमियों को छिपाने के लिए फिर अलापा भारत का राग?

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News India Live, Digital Desk : Pakistani Army Claims : पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी धरती पर हुए आतंकी हमले को नाकाम करने का दावा करते हुए इसका ठीकरा भारत पर फोड़ने की कोशिश की है।रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना ने 24 अक्टूबर को उत्तरी वजीरिस्तान जिले के झल्लार इलाके में एक बड़े आतंकी हमले को नाकाम करने का दावा किया है। सेना के प्रवक्ता (DG ISPR) ने बताया कि इस ऑपरेशन में 25 आतंकी मारे गए, लेकिन साथ ही पाकिस्तानी सेना के पांच जवानों की भी जान चली गई।

दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान, जो लंबे समय से आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बना हुआ है, ने एक बार फिर अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए "भारतीय प्रॉक्सी" पर आरोप लगाया है।हालांकि, इन दावों के समर्थन में कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं किया गया है।

अंदरूनी कलह से जूझ रहा पाकिस्तान?

स्थानीय सूत्रों की मानें तो यह हमला पाकिस्तानी सेना के खिलाफ सक्रिय एक स्थानीय चरमपंथी गुट ने ही प्लान किया था। इससे यह साफ हो जाता है कि पाकिस्तान इस वक्त गहरी अंदरूनी कलह और अस्थिरता से जूझ रहा है।

सेना के बयान के मुताबिक, उन्हें खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ "ख्वारिज" (चरमपंथी), जो भारतीय प्रॉक्सी से जुड़े हैं, एक वाहन के जरिए आत्मघाती हमला करने की फिराक में हैं इसके बाद सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन चलाकर उस वाहन को नष्ट कर दिया और तीन आतंकियों को मार गिराया।

अपनी नाकामियों को छिपाने की कोशिश?

पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा स्थिति काफी खराब हुई है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और बलूच उग्रवादी संगठनों जैसे स्थानीय आतंकी गुट लगातार सुरक्षाबलों को निशाना बना रहे हैं। ऐसे में, यह कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने अपनी असफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए हैं।

यह पैटर्न अब पुराना हो चला है, जिसमें पाकिस्तान अपनी आंतरिक सुरक्षा की खामियों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाता है और खुद को बाहरी ताकतों का शिकार बताने की कोशिश करता है। भारत ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया है और पाकिस्तान को उसी की जमीन पर पल रहे आतंकी नेटवर्कों की याद दिलाई है।

सेना प्रमुख जनरल मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।जैसे-जैसे देश में अस्थिरता बढ़ रही है और सेना पर से लोगों का भरोसा कम हो रहा है, सिर्फ बयानों और प्रोपेगैंडा के जरिए इस संकट से बाहर निकलना मुश्किल लग रहा है।

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