Oppo Success Story : क्या आप जानते हैं? आपका पसंदीदा OPPO ब्रांड पहले मोबाइल नहीं, बल्कि MP3 प्लेयर बेचता था

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News India Live, Digital Desk : अगर मैं आपसे पूछूं कि आप Oppo को किसलिए जानते हैं? तो आपका जवाब होगा "अरे, वो तो सेल्फी एक्सपर्ट है" या फिर "शानदार कैमरा वाला फोन बनाती है।" आज भारत के हर गली-मोहल्ले में ओप्पो के बोर्ड दिख जाएंगे। लेकिन, क्या आपको पता है कि आज जो कंपनी सैमसंग (Samsung) और वीवो (Vivo) जैसे दिग्गजों की नाक में दम किए हुए है, उसने अपने सफर की शुरुआत मोबाइल फोन से नहीं की थी?

जी हां, ओप्पो की कहानी काफी दिलचस्प है और किसी प्रेरणा से कम नहीं। आइए, आज जानते हैं कि कैसे म्यूजिक प्लेयर बनाने वाली एक कंपनी ने स्मार्टफोन की दुनिया पर कब्जा कर लिया।

शुरुआत हुई थी MP3 प्लेयर्स से
जरा पीछे मुड़कर देखते हैं (Flashback). साल था 2004-05 का। उस दौर में स्मार्टफोन्स नहीं होते थे, होते थे तो वो छोटे-छोटे MP3 प्लेयर्स, जिनमें हम गाने भरकर जेब में रखते थे। ओप्पो की शुरुआत यहीं से हुई थी। इन्होंने अपने करियर का आगाज़ हाई-क्वालिटी MP3 और MP4 प्लेयर्स (जैसे Oppo X3) बनाकर किया था। उस वक्त भी लोग इनकी साउंड क्वालिटी के दीवाने थे। यानी शुरुआत से ही ये कंपनी "क्वालिटी" पर फोकस करती थी।

फिर आया वो 'मुस्कुराता हुआ' फोन
जब मोबाइल का जमाना आया, तो ओप्पो पीछे नहीं रहा। 2008 में इन्होंने अपना पहला फीचर फोन लॉन्च किया। अगर आपको याद हो या आपने इंटरनेट पर देखा हो, तो उस फोन के पीछे एक "स्माइली फेस" (Smile face) बना होता था। वो फोन लोगों को बहुत पसंद आया था। बस, वहीं से ओप्पो ने ठान लिया कि अब मोबाइल मार्केट में ही राज करना है।

सैमसंग और वीवो को कैसे दी टक्कर?
आज की बात करें (2025 के संदर्भ में), तो ओप्पो सिर्फ एक मोबाइल कंपनी नहीं रह गई है। इसने सैमसंग जैसी पुरानी और भरोसेमंद कंपनी को कड़ी टक्कर दी है। कैसे?
इसका जवाब है— इनोवेशन और नब्ज पकड़ना।
ओप्पो समझ गया था कि भारतीय युवाओं को क्या चाहिए— एक बेहतरीन सेल्फी कैमरा और ऐसा लुक जो महंगा दिखे, पर कीमत बजट में हो। उन्होंने 'ब्यूटी मोड' (Beauty Mode) जैसे फीचर्स देकर पूरा खेल ही पलट दिया। जहां वीवो भी कैमरा पर फोकस कर रहा था, वहीं ओप्पो ने डिजाइन और फास्ट चार्जिंग (VOOC Charging) पर बाजी मार ली।

प्रीमियम रेस में भी आगे
पहले ओप्पो को सिर्फ सस्ते फोन्स के लिए जाना जाता था, लेकिन अपनी Find X सीरीज और Reno सीरीज के साथ इसने साबित कर दिया कि वो एपल और सैमसंग के प्रीमियम फोन्स को भी पछाड़ सकता है। अब तो उनके फोल्डेबल फोन्स (Foldable phones) भी मार्केट में धूम मचा रहे हैं।

सीखने वाली बात
दोस्तों, ओप्पो का सफर हमें बताता है कि शुरुआत चाहे जैसी भी हो, अगर आप वक्त के साथ खुद को बदल लेते हैं (MP3 से स्मार्टफोन), तो सफलता पक्की है। आज सैमसंग और वीवो को अपनी स्ट्रैटेजी बदलनी पड़ रही है तो उसके पीछे कहीं न कहीं ओप्पो का आक्रामक रवैया ही है।

तो अगली बार जब हाथ में ओप्पो का फोन लें, तो याद रखिएगा कि इसके पीछे 20 साल की एक लंबी और शानदार यात्रा छिपी है!

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