झारखंड में अब पेसा कानून से बदल जाएगी आदिवासियों की तकदीर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताई इसकी ताकत
News India Live, Digital Desk: झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है और यहाँ आदिवासियों के अधिकार हमेशा से एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहे हैं. अब इसी कड़ी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 'पेसा कानून' (PESA Act) के उद्देश्य और उसके महत्व को खुलकर समझाया है. मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि यह कानून सिर्फ आदिवासियों की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि उनके सशक्तिकरण और गांव-जवार में स्वशासन को बढ़ावा देने के लिए है.
आखिर क्या है यह 'पेसा कानून'?
'पेसा' का पूरा नाम 'पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) अधिनियम, 1996' (Panchayats Extension to Scheduled Areas Act, 1996) है. इसे भारत सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार और स्वायत्तता देने के लिए बनाया था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अनुसार, यह कानून आदिवासियों को अपनी जमीन, जंगल, जल (संसाधनों) पर अधिकार दिलाता है और उनकी पारंपरिक स्वशासन प्रणाली को मजबूत करता है.
हेमंत सोरेन ने क्या समझाया?
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक कार्यक्रम में कहा कि पेसा कानून का मुख्य मकसद यह सुनिश्चित करना है कि आदिवासी अपनी पहचान, संस्कृति और पारंपरिक तौर-तरीकों के अनुसार अपने गांवों का शासन चला सकें. उन्होंने बताया कि:
- ग्राम सभा की शक्ति: 'ग्राम सभा' को इस कानून के तहत बहुत ताकत दी गई है. किसी भी विकास परियोजना या जमीन अधिग्रहण से पहले ग्राम सभा की अनुमति लेना अनिवार्य है.
- पारंपरिक न्याय व्यवस्था: यह कानून आदिवासियों की पारंपरिक न्याय और प्रशासनिक व्यवस्थाओं को भी मजबूत करता है, जिससे वे अपने विवादों का निपटारा अपने रीति-रिवाजों के अनुसार कर सकें.
- बिचौलियों से मुक्ति: सोरेन ने कहा कि यह कानून बिचौलियों को खत्म करेगा और आदिवासियों को उनका हक दिलाएगा, जिससे उनका शोषण बंद होगा.
सरकार इस कानून को ईमानदारी से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि आदिवासियों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके और उन्हें सशक्त बनाया जा सके. इस कानून के लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक भागीदारी मिलेगी, जिससे सच्चा 'स्वशासन' स्थापित हो पाएगा.
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