नोबेल न सही फीफा ही सही डोनाल्ड ट्रम्प को मिला शांति का ऐसा इनाम जिसे देखकर दुनिया रह गई हैरान

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News India Live, Digital Desk: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) अपनी किस्मत और अपने फैसलों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। पूरी दुनिया की नजरें इस बात पर थीं कि क्या इस बार ट्रम्प को दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान यानी 'नोबेल शांति पुरस्कार' (Nobel Peace Prize) मिलेगा?

खैर, नोबेल की रेस में तो ट्रम्प पिछड़ गए (नोबेल किसी और को मिल गया), लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि उनकी झोली खाली रह गई। कहते हैं न, अगर एक दरवाजा बंद होता है, तो दूसरा खुल जाता है। कुछ ऐसा ही ट्रम्प के साथ हुआ है। उन्हें एक ऐसा 'पीस प्राइज' मिला है, जिसकी उम्मीद शायद ही किसी ने की थी।

यह सम्मान उन्हें किसी सरकार ने नहीं, बल्कि दुनिया में फुटबॉल चलाने वाली सबसे बड़ी संस्था फीफा (FIFA) ने दिया है। आइए, आसान भाषा में जानते हैं इस पूरे वाकये को।

नोबेल 'मिस' हुआ, लेकिन फीफा ने लगा दिया गले

घटना फ्लोरिडा में ट्रम्प के मशहूर रिजॉर्ट 'मार-आ-लागो' (Mar-a-Lago) की है। वहां फीफा के अध्यक्ष जियानी इन्फेंटिनो (Gianni Infantino) खुद पहुंचे। उन्होंने ट्रम्प को फीफा का एक विशेष सम्मान, जिसे 'फीफा पीस प्राइज' कहा जा रहा है, भेंट किया।

इस दौरान इन्फेंटिनो ने ट्रम्प की जमकर तारीफ की। उन्होंने माइक थामते हुए कहा—"मिस्टर प्रेसिडेंट, आप एक रॉकस्टार हैं।" (You are a Rockstar). उन्होंने ट्रम्प की तुलना एथलीटों से करते हुए कहा कि उनमें वही जज़्बा है जो खिलाड़ियों में होता है कभी हार न मानने का।

पुरस्कार क्यों मिला? (असली वजह)

अब आप सोच रहे होंगे कि भाई, फुटबॉल का शांति से क्या लेना-देना? और ट्रम्प को यह अवार्ड क्यों?
दरअसल, इसका श्रेय इजराइल (Israel) में हुए हालिया संघर्ष विराम (Ceasefire) को दिया जा रहा है। इन्फेंटिनो ने कहा कि ट्रम्प ने मध्य-पूर्व में शांति लाने के लिए और इजराइल-हमास के बीच युद्ध रुकवाने के लिए जो कूटनीतिक कोशिशें की हैं, यह सम्मान उसी के लिए है।

हालांकि ट्रम्प ने अभी तक आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति पद की शपथ नहीं ली है, लेकिन चुनाव जीतने के बाद से ही वे एक्टिव मोड में हैं और दुनिया को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि 'ट्रम्प है तो शांति है'।

ट्रम्प का रिएक्शन: मुस्कान बता रही थी सबकुछ

भले ही नोबेल प्राइज हाथ से निकल गया हो, लेकिन फीफा की सुनहरी ट्रॉफी हाथ में लेकर ट्रम्प काफी खुश नजर आए। उनके समर्थकों का कहना है कि दुनिया की कोई संस्था (नोबेल कमेटी) उन्हें माने या न माने, लेकिन उनके काम को नकारा नहीं जा सकता।

क्या यह आम बात है?

बिल्कुल नहीं। फीफा अध्यक्ष का किसी राजनेता के घर जाकर उसे शांति पुरस्कार देना बहुत ही दुर्लभ घटना है। इसे 'खेल और राजनीति' का एक अनोखा संगम कहा जा रहा है। आलोचक इसे कुछ भी कहें, लेकिन ट्रम्प ने फिर साबित कर दिया कि वे जहाँ भी होते हैं, हेडलाइन्स वहीं बनती हैं।

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