बिहार में फिर बजेगा नीतीश का डंका? ओपिनियन पोल में NDA को बहुमत, तेजस्वी को लग सकता है बड़ा झटका

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News India Live, Digital Desk: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी भले ही न हुआ हो, लेकिन सियासी पारा चढ़ने लगा है। चुनाव से पहले जनता का मन टटोलने के लिए किए गए एक ताजा ओपिनियन पोल के नतीजे सामने आ गए हैं, और यह नतीजे तेजस्वी यादव और उनके महागठबंधन के लिए चिंता बढ़ाने वाले हो सकते हैं। इस सर्वे के अनुसार, बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन की सरकार बनती दिख रही है।

क्या कहते हैं ओपिनियन पोल के आंकड़े?

एक निजी समाचार चैनल द्वारा किए गए इस ओपिनियन पोल में बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर जनता की राय ली गई। सर्वे के आंकड़े इस प्रकार हैं:

  • एनडीए (NDA): सर्वे में एनडीए गठबंधन को 135 से 145 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है, जो बहुमत के आंकड़े (122) से काफी ज्यादा है।
    • बीजेपी (BJP): 70-75 सीटें
    • जेडीयू (JDU): 55-60 सीटें
    • लोजपा (LJP-रामविलास) और हम (HAM): 10-12 सीटें
  • महागठबंधन (Mahagathbandhan): वहीं, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 85 से 95 सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है, जो पिछली बार से भी कम है।
    • आरजेडी (RJD): 60-65 सीटें
    • कांग्रेस (Congress): 15-20 सीटें
    • लेफ्ट (Left Parties): 5-7 सीटें
  • अन्य: अन्य दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में 5 से 10 सीटें जाने का अनुमान है।

मुख्यमंत्री के तौर पर कौन है पहली पसंद?

जब लोगों से पूछा गया कि वे मुख्यमंत्री के रूप में किसे देखना चाहते हैं, तो यहां भी नीतीश कुमार ने बाजी मार ली।

  • नीतीश कुमार: 42% लोगों की पहली पसंद।
  • तेजस्वी यादव: 35% लोगों ने उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में पसंद किया।
  • चिराग पासवान: 8% लोगों ने उनका समर्थन किया।

क्या हैं इस सर्वे के मायने?

हालांकि, यह सिर्फ एक ओपिनियन पोल है और अंतिम नतीजे इससे अलग भी हो सकते हैं, लेकिन इस सर्वे से कुछ बातें साफ होती हैं:

  • नीतीश का चेहरा अब भी लोकप्रिय: बार-बार पाला बदलने के बावजूद, मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार की छवि और अनुभव अभी भी लोगों के एक बड़े वर्ग को पसंद आ रहा है।
  • मोदी मैजिक का असर: एनडीए के पक्ष में दिख रहे आंकड़ों के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का भी बड़ा हाथ माना जा रहा है।
  • तेजस्वी के लिए चुनौती: तेजस्वी यादव के लिए यह सर्वे एक बड़ी चुनौती है। उन्हें अपने गठबंधन को मजबूत करने और जनता के बीच अपनी पैठ और गहरी करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।

अब जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएगा, बिहार की राजनीतिक तस्वीर और साफ होती जाएगी। लेकिन फिलहाल, इस ओपिनियन पोल ने एनडीए के खेमे में खुशी की लहर दौड़ा दी है, जबकि महागठबंधन को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने पर मजबूर कर दिया है।

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