National Crime Records Bureau : भारत में 10 सालों में 65% बढ़े छात्र सुसाइड, कहीं आपका बच्चा तो नहीं अकेला?
News India Live, Digital Desk: National Crime Records Bureau : नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 सालों में हमारे देश में छात्र आत्महत्याओं (Student Suicides) के मामलों में 65 फ़ीसदी का चौंकाने वाला उछाल देखा गया है. और यह उछाल आत्महत्या के कुल मामलों की तुलना में काफ़ी ज़्यादा है. मतलब साफ़ है कि कहीं न कहीं हमारे बच्चों पर पढ़ाई का, करियर का या ज़िंदगी का दबाव बहुत ज़्यादा बढ़ रहा है और वे इसका सामना करने में ख़ुद को अकेला पा रहे हैं.
यह आँकड़ा सिर्फ़ संख्याएँ नहीं हैं, बल्कि यह हमारे समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है. हर आत्महत्या का मतलब है एक ऐसा युवा जीवन, जिसकी क्षमताएँ खो गईं, एक परिवार, जिसने सब कुछ गंवा दिया. जब हम इतनी बड़ी संख्या में अपने बच्चों को ऐसे मुश्किल कदम उठाते हुए देखते हैं, तो यह सोचना पड़ता है कि आख़िर हमसे कहाँ चूक हो रही है. शिक्षा प्रणाली का दबाव, पारिवारिक उम्मीदें, भविष्य की चिंताएँ, और समाज में बढ़ते प्रतिस्पर्धी माहौल – ये सब ऐसे कारक हैं जो मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर असर डाल सकते हैं.
यह रिपोर्ट हमें याद दिलाती है कि हमें अपने छात्रों के लिए एक ऐसा सुरक्षित और सहयोगी माहौल बनाना चाहिए, जहाँ वे अपनी समस्याओं को खुल कर साझा कर सकें. पढ़ाई के साथ-साथ, उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य (Emotional Well-being) पर ध्यान देना भी उतना ही ज़रूरी है. उन्हें समझना होगा कि सफलता से ज़्यादा ज़रूरी ज़िंदगी है, और हर मुश्किल का कोई न कोई हल ज़रूर होता है. यह सिर्फ सरकार या स्कूलों का नहीं, बल्कि हम सभी का, एक समाज के तौर पर, दायित्व है कि हम इस बढ़ते गंभीर मुद्दे पर गंभीरता से सोचें और हर बच्चे को सही सपोर्ट दें.
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