Money laundering Case : रांची में सेना की ज़मीन धोखाधड़ी केस ,पूर्व उपायुक्त को सुप्रीम कोर्ट से मिली ज़मानत, क्या है पूरा मामला?
News India Live, Digital Desk: Money laundering Case : झारखंड की राजधानी रांची में सेना की ज़मीन की अवैध खरीद-बिक्री और धोखाधड़ी से जुड़ा मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. इस हाई-प्रोफाइल मामले में अब एक बड़ी खबर सामने आई है: रांची के पूर्व उपायुक्त (Deputy Commissioner) को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिल गई है. यह ज़मानत ऐसे समय में मिली है जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले की गहनता से जांच कर रहा है और कई अन्य अधिकारी भी इसकी चपेट में आ चुके हैं.
क्या है सेना की ज़मीन धोखाधड़ी मामला?
दरअसल, यह मामला रांची में सेना की कुछ ज़मीनों से जुड़ा है, जिनकी धोखाधड़ी से बिक्री कर दी गई थी. आरोप है कि इन ज़मीनों के फर्जी दस्तावेज़ तैयार किए गए और उन्हें अवैध तरीके से बेचा गया. इस पूरे रैकेट में कई बड़े ज़मीन कारोबारी, सरकारी अधिकारी और अन्य प्रभावशाली लोग शामिल बताए जा रहे हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ED) इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच कर रहा है और उसने कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है.
पूर्व उपायुक्त को क्यों मिली ज़मानत?
रांची के पूर्व उपायुक्त को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इस धोखाधड़ी में मदद की थी या इसमें शामिल थे. निचली अदालतों से ज़मानत न मिलने के बाद, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें ज़मानत दे दी है. ज़मानत मिलने का मतलब यह नहीं है कि वे निर्दोष साबित हो गए हैं, बल्कि यह उन्हें मुकदमे के दौरान बाहर रहने की अनुमति देता है. मामले की सुनवाई अभी जारी रहेगी.
मामले के राजनीतिक और प्रशासनिक मायने:
इस ज़मीन घोटाले का झारखंड की राजनीति और प्रशासन पर गहरा असर पड़ा है. कई मौजूदा और पूर्व अधिकारियों के नाम इसमें सामने आए हैं, जिससे प्रशासन में पारदर्शिता और ईमानदारी पर सवाल उठे हैं. सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद, इस मामले में आगे क्या मोड़ आता है, यह देखना दिलचस्प होगा.ED अभी भी अपनी जांच जारी रखे हुए है और आने वाले समय में कुछ और गिरफ्तारियां या खुलासे हो सकते हैं.
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