Monetization of sexuality: 23 साल की अपूर्वा मुखर्जी ने किया 'महिलाओं के चयन' का समर्थन, कहा - बेपरवाह और गर्व करने लायक!

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News India Live, Digital Desk: Monetization of sexuality: वर्तमान समाज में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को लेकर कई अहम बहसें जारी हैं, और इनमें महिलाओं की स्वायत्तता और उनकी अपनी पहचान का मुद्दा प्रमुखता से उठता है। हाल ही में, एक युवा हस्ती, 23 वर्षीय अपूर्वा मुखर्जी ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने बहस को और गहरा कर दिया है। उन्होंने उन महिलाओं का समर्थन किया है जो अपनी यौनिकता को 'मोनेटाइज' (आर्थिक लाभ में बदलना) करती हैं और उन्हें 'बेपरवाह और गर्व करने वाली' करार दिया है।

यह बयान उस धारणा को चुनौती देता है जिसमें अक्सर समाज द्वारा महिलाओं की यौनिकता से जुड़े पेशेवर विकल्पों को नकारात्मक रूप में देखा जाता है। अपूर्वा मुखर्जी का यह दृष्टिकोण बताता है कि जब कोई महिला अपनी शर्तों पर और अपनी स्वेच्छा से अपनी यौनिकता को एक पेशेवर रास्ते के तौर पर चुनती है और उससे आर्थिक लाभ कमाती है, तो उसे अपमानित नहीं किया जाना चाहिए। उनके अनुसार, यह उस महिला का निजी चुनाव है और इसे सशक्तिकरण के एक रूप में देखा जाना चाहिए।

इस बयान से यह साफ है कि अपूर्वा मुखर्जी यह मानती हैं कि अपनी यौनिकता से पैसे कमाना कोई 'गंदा' काम नहीं है, बल्कि यह उन महिलाओं की हिम्मत और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, जो अपने तरीके से जीवन जीना चुनती हैं। वह उन रूढ़िवादी धारणाओं के खिलाफ बोल रही हैं जो समाज में महिलाओं के लिए निर्धारित 'उचित' भूमिकाओं को सीमित करती हैं। वह महिलाओं के आत्म-स्वामित्व और उनके फैसलों के लिए गर्व करने की वकालत कर रही हैं।

इस तरह के बयान से समाज में महिला सशक्तिकरण के बारे में एक खुली और प्रगतिशील सोच को बढ़ावा मिल सकता है। यह उस पितृसत्तात्मक ढांचे को चुनौती देता है जो महिलाओं के शरीर और उनके विकल्पों को नियंत्रित करने की कोशिश करता है। हालांकि यह विषय विवादास्पद हो सकता है और समाज के विभिन्न तबकों में अलग-अलग राय हो सकती है, लेकिन अपूर्वा मुखर्जी का बयान उन महिलाओं के लिए एक आवाज देता है जो पारंपरिक मानदंडों के विपरीत अपने लिए मार्ग चुनती हैं। यह स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय और लैंगिक समानता की व्यापक बहस में एक महत्वपूर्ण पहलू जोड़ता है।

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