मथुरा-कासगंज रूट पर अब दौड़ेगी ट्रेन! 105 KM लंबे ट्रैक का सर्वे पूरा, नहीं होगा ट्रेनों का इंतजार

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Mathura-Kasganj railway track doubling : जो लोग उत्तर प्रदेश के मथुरा-कासगंज रेलवे रूट पर अक्सर सफर करते हैं, उनके लिए सालों का इंतजार अब खत्म होने वाला है। इस रूट पर ट्रेनों की लेटलतीफी और सिंगल ट्रैक की वजह से होने वाली परेशानी अब जल्द ही इतिहास बन जाएगी। रेलवे ने इस 105 किलोमीटर लंबे ट्रैक को डबल करने की प्रक्रिया में तेजी ला दी है और इसका सर्वे का काम भी पूरा कर लिया गया है।

क्या है यह पूरा प्रोजेक्ट और क्यों है यह खास?

लंबे समय से मथुरा से कासगंज तक की रेलवे लाइन सिंगल ट्रैक है। इसका मतलब है कि एक समय पर एक ही ट्रेन आ या जा सकती है। अगर सामने से कोई ट्रेन आ रही हो, तो दूसरी ट्रेन को स्टेशन पर इंतजार करना पड़ता है। इसी वजह से इस रूट पर न तो ज्यादा ट्रेनें चल पाती हैं और न ही उनकी स्पीड बढ़ पाती है।

लेकिन अब, रेलवे ने इस पूरे 105 किलोमीटर के ट्रैक को डबल करने का फैसला किया है। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय, गोरखपुर ने इस प्रोजेक्ट के लिए एक विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) भी तैयार कर ली है। सर्वे का काम पूरा हो चुका है, जिससे यह पता चल गया है कि कहां-कहां रेलवे की अपनी जमीन है और कहां जमीन अधिग्रहण करने की जरूरत पड़ेगी।

किन इलाकों में आएगी तेजी?

सर्वे के अनुसार, हाथरस, मुरसान और राया के बीच रेलवे की जमीन थोड़ी कम है, इसलिए इन इलाकों में जमीन अधिग्रहण एक चुनौती हो सकती है। रेलवे अब यह तय करेगा कि इन संकरी जगहों पर जमीन लेकर डबल लाइन बिछाई जाए या फिर एलिवेटेड ट्रैक (खंभों पर बना ट्रैक) बनाया जाए।

एक और स्टेशन जिसका महत्व इस प्रोजेक्ट से बढ़ने वाला है, वह है मेंडू स्टेशन। मेंडू स्टेशन के पास रेलवे की काफी जमीन मौजूद है और यहीं से इस ट्रैक को उत्तर मध्य रेलवे के व्यस्त दिल्ली-हावड़ा ट्रैक से भी जोड़ा जाएगा।

आम आदमी को कैसे मिलेगा फायदा?

इस प्रोजेक्ट के पूरा होते ही इस रूट की पूरी तस्वीर बदल जाएगी:

  • ट्रेनें नहीं होंगी लेट:डबल ट्रैक होने से ट्रेनों को क्रॉसिंग के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा, जिससे समय की भारी बचत होगी।
  • बढ़ेगी ट्रेनों की स्पीड और संख्या:ट्रैक की क्षमता बढ़ने से इस रूट पर और भी नई एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जा सकेंगी और मौजूदा ट्रेनों की रफ्तार भी बढ़ जाएगी।
  • रोजगार के अवसर:नई लाइन बिछाने से लेकर स्टेशनों के विकास तक, इस पूरे प्रोजेक्ट से स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए मौके भी मिलेंगे।

फिलहाल इस रूट पर 5 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनें और कुछ साप्ताहिक और त्रै-साप्ताहिक ट्रेनें ही चलती हैं। 2009 के बाद से एक भी नई दैनिक ट्रेन इस रूट पर नहीं चली है। लेकिन दोहरीकरण के बाद, यह सब बदल जाएगा और मथुरा से कासगंज के बीच के 11 स्टेशनों की रौनक बढ़ जाएगी। जल्द ही यह डीपीआर मंजूरी के लिए रेलवे बोर्ड को भेजी जाएगी, और मंजूरी मिलते ही जमीन पर काम शुरू हो जाएगा।

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