Land for Jobs Case : व्हीलचेयर पर लालू, साथ में तेजस्वी दिल्ली कोर्ट में आज फिर खड़ी हुई लालू फैमिली
News India Live, Digital Desk : आज दिल्ली का मौसम तो ठंडा था, लेकिन राउज एवेन्यू कोर्ट का माहौल एकदम गरम। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav), उनकी पत्नी राबड़ी देवी (Rabri Devi) और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) आज एक साथ अदालत में हाजिरी लगाने पहुंचे।
तस्वीरें देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए। लालू जी की तबीयत हम सब जानते हैं, वो काफी नाजुक दौर से गुजर रहे हैं, फिर भी कानून तो कानून है। कोर्ट के बुलावे पर उन्हें आना पड़ा।
मुद्दा आखिर है क्या? (The Real Issue)
जिन्हें नहीं पता, उन्हें बता दूँ कि यह मामला उस दौर का है जब लालू यादव रेल मंत्री हुआ करते थे। आरोप यह है कि रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी देने के बदले उम्मीदवारों से जमीनें (Land) ली गईं। यानी, "जमीन दो, सरकारी नौकरी लो।" सीबीआई (CBI) और ईडी (ED) इसी मामले की कड़ियां जोड़ने में लगी हैं। उनका कहना है कि यह पूरा खेल एक सोची-समझी साजिश थी।
कोर्ट के अंदर क्या हुआ? (Inside the Courtroom)
आज जब सुनवाई शुरू हुई, तो माहौल काफी सीरियस था। लालू परिवार की तरफ से उनके वकील मुस्तैद थे। आज की कार्रवाई मुख्य रूप से कानूनी कागजी कार्यवाही (Documents scrutiny) और चार्जशीट से जुड़ी चीजों पर थी।
राहत की बात यह रही कि लालू, राबड़ी और तेजस्वी तीनों को ही पहले से बेल (Bail) मिली हुई है, तो आज गिरफ्तारी जैसा कोई ड्रामा नहीं हुआ। वे कोर्ट आए, अपनी हाजिरी (Mark Attendance) दर्ज करवाई और कार्रवाई का हिस्सा बने। जज साहब ने दोनों पक्षों को सुना और अगली तारीख दे दी।
तेजस्वी के माथे पर चिंता की लकीरें?
वैसे तो तेजस्वी यादव बाहर आकर मीडिया से हमेशा शेर की तरह दहाड़ते हैं कि "यह सब पॉलिटिकल साजिश है," लेकिन कोर्ट के अंदर की चुप्पी बहुत कुछ कह जाती है। तेजस्वी आरजेडी का भविष्य हैं, और यह केस उनके करियर के लिए एक बड़ा रोड़ा बना हुआ है। चुनाव आते हैं तो फाइलें खुलने लगती हैं, और चुनाव जाते ही सन्नाटा छा जाता है यह पैटर्न तो अब बिहार का बच्चा-बच्चा समझने लगा है।
अब आगे क्या?
फिलहाल तो लालू परिवार को बार-बार दिल्ली के चक्कर काटने ही पड़ेंगे। यह कानूनी लड़ाई लंबी है, दोस्तों। वकीलों की फौज और दलीलों का दौर चलता रहेगा। आरजेडी समर्थकों का कहना है कि "शेर बूढ़ा जरूर हुआ है, पर झुका नहीं है," वहीं विरोधी कह रहे हैं कि "भ्रष्टाचार का हिसाब तो देना ही पड़ेगा।"
खैर, आज की पेशी तो निकल गई, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। अगली सुनवाई पर क्या होता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
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