Land for Job Case : लालू परिवार को राहत या सिर्फ मोहलत? कोर्ट ने ऐन वक्त पर टाला बड़ा फैसला
News India Live, Digital Desk : बिहार की राजनीति में Lalu Prasad Yadav और उनके परिवार का नाम सुर्खियों में न हो, ऐसा कम ही होता है। कभी बयानों को लेकर, तो कभी पुराने मुकदमों को लेकर। इस बार मामला Land For Job Scam (जमीन के बदले नौकरी घोटाला) का है, जिसने लालू यादव, Rabri Devi, Tejashwi Yadav और Misa Bharti सबकी नींद उड़ा रखी है।
सबकी निगाहें दिल्ली की Rouse Avenue Court पर टिकी थीं। उम्मीद थी कि कोर्ट इस मामले में आरोपियों पर 'आरोप तय' (Framing of Charges) करने को लेकर अपना फैसला सुनाएगा। मतलब यह तय होना था कि किस-किस पर कौन सी धारा में मुकदमा चलेगा।
लेकिन, ऐन वक्त पर कोर्ट से एक ऐसी खबर आई जिसने लालू परिवार को थोड़ी 'फौरी राहत' (Temporary Relief) दी है, हालांकि तलवार अभी भी लटक ही रही है। चलिए, आसान भाषा में समझते हैं कि कोर्ट में आखिर हुआ क्या।
तारीख मिल गई, फैसला नहीं!
हुआ यूं कि गुरुवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई। सबको लगा कि आज जज साहब अपना फैसला सुना देंगे और दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। लेकिन विशेष न्यायाधीश (Special Judge) विशाल गोगने ने आदेश को फिलहाल के लिए स्थगित (Defer) कर दिया है।
सरल शब्दों में कहें तो, कोर्ट ने कहा है कि "भैया, अभी हम आरोप तय करने वाला आदेश नहीं सुनाएंगे।" कोर्ट ने इसके लिए नई तारीख दे दी है। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी।
क्यों अहम था आज का दिन?
यह मामला बहुत सीरियस है। आरोप है कि जब लालू यादव रेल मंत्री (Railway Minister) थे, तो उन्होंने रेलवे में नौकरियां देने के बदले रिश्वत के तौर पर लोगों से सस्ती जमीनें अपने और अपने परिवार के नाम करवा ली थीं।
ED और CBI दोनों ही एजेंसियां हाथ धोकर पीछे पड़ी हैं। अगर कोर्ट आज आरोप तय करने का आदेश दे देता, तो तेजस्वी यादव और बाकी आरोपियों की मुश्किलें अचानक बढ़ सकती थीं। ट्रायल (मुकदमा) आधिकारिक तौर पर शुरू हो जाता और फिर कानूनी दांव-पेच और सख्त हो जाते। इसलिए आज का दिन लालू फेमिली के लिए 'ब्लैक डे' साबित हो सकता था।
राहत है, लेकिन संकट बरकरार
अब इसे आप 'राहत' कहें या सिर्फ कुछ दिनों की 'मोहलत', बात एक ही है। कोर्ट ने मामला ख़त्म नहीं किया है, बस आदेश को कुछ दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया है। 12 दिसंबर को फिर से धड़कनें तेज होंगी।
वकील और जानकर बता रहे हैं कि कोर्ट दस्तावेजों और सबूतों का बारीकी से अध्ययन कर रहा है। चूंकि इसमें कई बड़े नाम (वीआईपी) शामिल हैं, इसलिए जज कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लेना चाहते।
तेजस्वी यादव का क्या होगा?
इस केस में बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम Tejashwi Yadav का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है। विरोधियों के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है। अगर आरोप तय होते हैं, तो उनका राजनीतिक करियर फिर से सवालों के घेरे में आ जाएगा। फिलहाल, आरजेडी (RJD) खेमे में थोड़ी शांति है कि "चलो, आज तो बच गए!"
तो दोस्तों, बिहार की राजनीति में सस्पेंस अभी भी बरकरार है। अब हमें और आपको 12 दिसंबर का इंतज़ार करना होगा। तब तक, 'तारीख पे तारीख' वाला डायलॉग याद रखिये!
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