कराग्रे वसते लक्ष्मी हाथों की लकीरों में ही छिपा है सब कुछ, क्या आप रोज सुबह ये गलती कर रहे हैं?

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News India Live, Digital Desk : आजकल हम में से ज्यादातर लोग आंख खुलते ही तकिये के पास रखा मोबाइल ढूंढ़ते हैं। वॉट्सऐप चेक करना या रील स्क्रॉल करना हमारी सुबह की आदत बन गई है। लेकिन जरा सोचिए, हमारे पूर्वज या बड़े-बुजुर्ग ऐसा नहीं करते थे, फिर भी उनका दिमाग हमसे ज्यादा शांत और फोकस रहता था। आखिर क्यों? इसका जवाब हमारे शास्त्रों की एक बहुत पुरानी, लेकिन बेहद असरदार पद्धति में छिपा है, जिसे कहते हैं त्रिकाल संध्या

नाम सुनकर शायद आपको लगे कि यह कोई बहुत कठिन पूजा है जिसमें घंटों बैठना पड़ेगा, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। त्रिकाल संध्या का मतलब बहुत सीधा सा है  दिन के तीन खास वक्त पर खुद को ईश्वर और ब्रह्मांड की शक्ति से जोड़ना।

क्या है त्रिकाल संध्या का आसान मतलब?

'त्रि' मतलब तीन और 'काल' मतलब समय। यानी सुबह (सूर्योदय), दोपहर (जब सूरज सिर पर हो) और शाम (सूर्यास्त)। यह वो वक्त होता है जब दिन की ऊर्जा बदल रही होती है। जैसे हम दिन भर काम करने के लिए फोन चार्ज करते हैं, वैसे ही त्रिकाल संध्या हमारी आत्मा और मन की बैटरी चार्ज करने का तरीका है।

इसमें सबसे जरूरी और आसान है सुबह का हिस्सा।

हथेलियों में छिपी है दुनिया: 'कराग्रे वसते लक्ष्मी'

शास्त्र कहते हैं कि सुबह बिस्तर छोड़ने से पहले अपनी दोनों हथेलियों को जोड़कर उन्हें देखना चाहिए। इसे ही हम सबसे पहली 'संध्या' कह सकते हैं। हमारे हाथों के अग्र भाग में लक्ष्मी (धन), मध्य में सरस्वती (ज्ञान) और मूल में गोविन्द (ईश्वर) का वास माना गया है।

जब आप सुबह उठकर यह मंत्र बोलते हैं"कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती, करमूले तू गोविन्द, प्रभाते करदर्शनम्"
तो आप अपने दिन को एक पॉजिटिव संदेश देते हैं। इसका साइकोलॉजिकल मतलब भी समझिए—यह हमें याद दिलाता है कि हमारा भविष्य हमारे ही 'कर्म' यानी हमारे ही हाथों में है।

इससे फायदा क्या होगा?

अगर आप नियम से दिन में तीन बार, भले ही दो-दो मिनट के लिए ही सही, ईश्वर का ध्यान करते हैं, तो इसके नतीजे कमाल के होते हैं।

  1. मानसिक शांति: भागदौड़ भरी जिंदगी में वो 'पॉज़' (Pause) बटन दबाना जरूरी है। त्रिकाल संध्या आपके दिमाग को शांत करती है।
  2. निगेटिविटी दूर: सुबह और शाम का वक्त—ये वो समय होता है जब नकारात्मक विचार हावी हो सकते हैं। मंत्र और प्रार्थना एक कवच का काम करते हैं।
  3. फोकस: जब आप दिन की शुरुआत "अपने कर्मों पर विश्वास" के साथ करते हैं, तो आपका पूरा दिन प्रोडक्टिव जाता है।

तो कल सुबह अलार्म बजने के बाद मोबाइल नहीं, अपनी हथेलियों को देखिए। बदलाव आप खुद महसूस करेंगे।

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