पटना में खिचड़ी पक रही है? अचानक नीतीश कुमार के दरबार में पहुंचे ओवैसी के विधायक, उड़ गईं सबकी नींद

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News India Live, Digital Desk : बिहार की राजनीति (Bihar Politics) के बारे में एक बात मशहूर है यहाँ कब कौन किसके साथ मिल जाए और कब कौन पलटी मार जाए, इसका अंदाज़ा लगाना बड़े-बड़े पंडितों के बस की बात भी नहीं होती। अभी हाल ही में पटना के '1 अणे मार्ग' (सीएम आवास) से एक ऐसी तस्वीर और खबर सामने आई है, जिसने सियासी गलियारों में कानाफूसी तेज कर दी है।

खबर यह है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के विधायक अचानक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से मिलने पहुंच गए। वैसे तो कहा जा रहा है कि यह मुलाकात सरकारी काम-काज को लेकर थी, लेकिन बिहार में जब दो विरोधी धुरियां मिलती हैं, तो उसका मतलब कुछ और ही निकाला जाता है।

आइये, आसान और देसी अंदाज में समझते हैं कि इस मुलाकात के पीछे की कहानी क्या है।

अचानक सीएम हाउस क्यों गए विधायक?
AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक अख्तरुल इमान (Akhtarul Iman) अपनी पार्टी के अन्य विधायकों के साथ मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे। बाहर आकर मीडिया को उन्होंने बताया कि यह मुलाकात विशुद्ध रूप से अपने क्षेत्र यानी सीमांचल (Seemanchal) की समस्याओं को लेकर थी।
उनका कहना था "हमारे इलाके में सड़कों का हाल बुरा है, पुल-पुलिया नहीं हैं और विकास के काम रुके पड़े हैं। मुख्यमंत्री जी मुखिया हैं, तो हम उनसे नहीं मिलेंगे तो किससे मिलेंगे?"

सुनने में यह बात बहुत जायज़ लगती है। आखिर एक विधायक अपने सीएम से फंड या विकास की मांग तो कर ही सकता है।

लेकिन 'अंदर की बात' क्या है?
दोस्तो, राजनीति में जो दिखता है, वो होता नहीं है। जानकार मान रहे हैं कि यह मुलाकात सिर्फ सड़क और नाली की नहीं थी।

  1. वोट बैंक का गणित: हम सब जानते हैं कि AIMIM और JDU दोनों की नज़र अल्पसंख्यक (Minority) वोट बैंक पर रहती है। सीमांचल में ओवैसी की पार्टी मजबूत है। ऐसे में नीतीश कुमार के साथ उनकी ये नजदीकी आरजेडी (RJD) और तेजस्वी यादव के लिए खतरे की घंटी हो सकती है।
  2. RJD को घेरने का प्लान? तेजस्वी यादव का कोर वोट बैंक मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण माना जाता है। अगर नीतीश कुमार और ओवैसी के बीच कोई "अंडरस्टैंडिंग" बनती है, या सिर्फ नजदीकी भी दिखती है, तो इसका सीधा नुकसान महागठबंधन को हो सकता है।

नीतीश का 'सॉफ्ट कॉर्नर'?
नीतीश कुमार हमेशा से सभी को साधकर चलने में माहिर माने जाते हैं। AIMIM विधायकों को समय देना और उनकी बातें सुनना यह दर्शाता है कि नीतीश अपने दरवाजे किसी के लिए बंद नहीं करते। चाहे वो एनडीए में हों, लेकिन उनकी राजनीति अपने हिसाब से चलती है।

आगे क्या हो सकता है?
अभी तो AIMIM विधायक कह रहे हैं कि सीएम ने उन्हें भरोसा दिया है कि काम होगा। लेकिन चुनाव और सीटों का गणित बिहार में हर दिन बदलता है। क्या भविष्य में हमें कोई नया गठबंधन या समर्थन देखने को मिल सकता है? या यह सिर्फ एक शिष्टाचार मुलाकात थी?

फिलहाल, इस मुलाकात ने पटना की सर्दी में सियासी पारा तो चढ़ा ही दिया है। आपका इस पर क्या सोचना है? क्या यह 'दाल में काला' है या पूरी 'दाल ही काली' है?

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