Karnataka Egg Controversy : क्या जिसे हम सेहत की गारंटी मानते थे, वही दे रहा है कैंसर? अंडों पर उठी बहस का पूरा सच जानिए

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News India Live, Digital Desk : बचपन से हमें सिखाया गया है "संडे हो या मंडे, रोज खाओ अंडे।" सर्दी हो या गर्मी, हमारे नाश्ते की प्लेट बिना अंडे के अधूरी लगती है। जिम वाले तो दिन में कई-कई अंडे खा जाते हैं। लेकिन, जरा सोचिए, अगर आपको पता चले कि जिसे आप शरीर बनाने के लिए खा रहे हैं, वही आपके शरीर को अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है, तो?

जी हाँ, सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन कर्नाटक से आई एक खबर ने अच्छे-अच्छे लोगों को डरा दिया है। वहां अंडों की क्वालिटी और उनमें मौजूद कुछ रसायनों को लेकर ऐसा विवाद खड़ा हुआ है कि सरकार को बीच में आना पड़ा। आइए, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि माजरा क्या है और क्या वाकई हमें डरने की जरूरत है।

अचानक क्यों मचा है हड़कंप?

बात दरअसल यह है कि पिछले कुछ दिनों से कुछ रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा है कि बाजार में मिलने वाले कुछ अंडों में ऐसे एंटीबायोटिक्स और केमिकल्स मिले हैं जो कैंसर पैदा कर सकते हैं।

इन खतरनाक रसायनों के नाम हैं— 'नाइट्रोफ्यूरन' और 'नाइट्रोइमिडाजोल'

अब आप पूछेंगे ये बला क्या है? तो समझिए, पोल्ट्री फार्म वाले कई बार मुर्गियों को बीमारी से बचाने या उन्हें जल्दी बड़ा करने के लिए इन दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन दिक्कत यह है कि ये इंसान की सेहत के लिए "स्लो पॉइजन" (धीमे जहर) जैसा काम कर सकते हैं और दुनिया भर में कई जगह खाने की चीजों में इनका इस्तेमाल बैन है।

सरकार ने क्या किया?

जब बात लोगों की जान पर आ गई, तो कर्नाटक सरकार हरकत में आई। स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडु राव ने इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लिया। उन्होंने अधिकारियों को साफ निर्देश दिया कि, "सिर्फ बातों पर मत जाइए, बाजार से सैंपल उठाइए और चेक कीजिए।"

अधिकारियों ने बेंगलुरु और आसपास के इलाकों से अलग-अलग दुकानों और मॉल से अंडों के नमूने इकट्ठा किए हैं और उन्हें लैब भेज दिया है। सरकार जानना चाहती है कि क्या यह सिर्फ हवा-हवाई बातें हैं या वाकई लोगों की सेहत से खिलवाड़ हो रहा है।

क्या अब अंडा खाना बंद कर दें?

यह सवाल सबके मन में है। तो जवाब है— अभी पैनिक मत कीजिए।

स्वास्थ्य मंत्री ने खुद लोगों को तसल्ली दी है। उन्होंने कहा कि हर बार जो बातें सोशल मीडिया पर उड़ती हैं, वो सच नहीं होतीं। पिछली बार भी ऐसी जांच हुई थी और तब सब कुछ ठीक मिला था। इसलिए जब तक लैब की रिपोर्ट (जो 4-5 दिन में आ जाएगी) नहीं आ जाती, तब तक घबराकर खाना-पीना छोड़ने की जरूरत नहीं है।

तो अब क्या करें?

थोड़ी सावधानी तो बनती है।

  1. सस्ते के चक्कर में न पड़ें: अंडे हमेशा साफ़-सुथरी और भरोसेमंद जगह से ही खरीदें।
  2. कच्चा अंडा न खाएं: कोशिश करें कि अंडे को अच्छे से पकाकर ही खाएं, क्योंकि अच्छी तरह पकाने से कई बार रिस्क कम हो जाता है।
  3. जागरूक रहें: अपने खाने-पीने की चीजों को लेकर सवाल पूछना शुरू करें, क्योंकि सेहत ही सबकुछ है।

अगर रिपोर्ट में गड़बड़ निकली, तो सरकार ने वादा किया है कि दोषियों की खैर नहीं होगी। तब तक के लिए, अफवाहों पर ध्यान न दें और सेहतमंद रहें!

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