Kalash Sthapana in Navratri 2025 : इन 5 बड़ी ग़लतियों से माँ दुर्गा होंगी नाराज़ ,अभी जान लें सही नियम
News India Live, Digital Desk: Kalash Sthapana in Navratri 2025 : शारदीय नवरात्रि 2025 आने वाली है और इसकी तैयारियां लगभग हर घर में शुरू हो गई होंगी. यह नौ दिनों का वो पावन पर्व है जब माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. इन नौ दिनों की पूजा में कलश स्थापना (घाट स्थापना) और अखंड ज्योति का ख़ास महत्त्व होता है. बहुत से लोग अनजाने में कुछ ऐसी ग़लतियाँ कर जाते हैं, जिनकी वजह से माँ दुर्गा नाराज़ हो सकती हैं. अगर आप भी माँ का पूरा आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो कुछ नियमों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है.
आइए जानते हैं कि नवरात्रि 2025 में कलश स्थापना और अखंड ज्योति जलाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और कौन सी ग़लतियाँ बिलकुल नहीं करनी चाहिए.
नवरात्रि में कलश स्थापना: क्या है इसका महत्त्व और सही तरीका
कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहते हैं, और इसे नवरात्रि की शुरुआत में ही किया जाता है. यह शुभ समय पर किया गया, नौ दिनों की पूजा के लिए पवित्र वातावरण बनाने का पहला और सबसे अहम क़दम होता है. कलश को भगवान गणेश और अन्य देवताओं का प्रतीक माना जाता है.
ध्यान रखने योग्य बातें:
- सही मुहूर्त का इंतज़ार: कलश स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए. पंडित से पूछकर या पंचांग देखकर ही मुहूर्त तय करें. जल्दीबाज़ी में या कभी भी स्थापना करना ठीक नहीं माना जाता.
- पवित्र स्थान और साफ-सफाई: जहाँ कलश स्थापना करनी है, उस जगह को अच्छी तरह से साफ़ कर लें. वहाँ पर गोबर से लीपा या गंगाजल छिड़का जा सकता है. एक साफ़ और लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें.
- कलश में क्या-क्या डालें: कलश के नीचे या मिट्टी के बर्तन में जौ बोया जाता है. कलश के अंदर जल, साबुत सुपारी, अक्षत (बिना टूटे हुए चावल), सिक्का और कुछ पत्ते (जैसे आम या अशोक के पत्ते) ज़रूर डालें.
- नारियल और चुनरी: कलश के मुख पर आम के पत्तों के साथ नारियल रखना न भूलें. नारियल को लाल कपड़े या चुनरी में लपेटकर उस पर मौली (कलावा) बाँधें. नारियल का मुख हमेशा अपनी तरफ़ रखें, क्योंकि इसे देवी का आह्वान माना जाता है.
- स्थापना के बाद हिलाएं नहीं: एक बार कलश स्थापित हो जाने के बाद, उसे नौ दिनों तक उसकी जगह से बिलकुल भी न हिलाएं.
ये ग़लतियाँ करने से बचें:
- बिना साफ़-सफाई या अपवित्र जगह पर कलश स्थापना न करें.
- शुभ मुहूर्त के बिना स्थापना न करें.
- गलत सामग्री का इस्तेमाल न करें, और अगर कुछ उपलब्ध न हो तो साफ़ अक्षत और जल ज़रूर रखें.
- नारियल को बिना कपड़े या चुनरी के न रखें.
अखंड ज्योति: माँ के प्रति अटूट विश्वास का प्रतीक
अखंड ज्योति का अर्थ है, नौ दिनों तक लगातार जलती रहने वाली दीपक की लौ. इसे माँ दुर्गा के प्रति अपनी अटूट श्रद्धा, विश्वास और भक्ति का प्रतीक माना जाता है. इसे जलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
ध्यान रखने योग्य बातें:
- शुद्ध घी या तिल का तेल: अखंड ज्योति के लिए शुद्ध देसी घी का ही प्रयोग करें. अगर घी उपलब्ध न हो तो तिल का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं. बाज़ार के मिलावटी तेलों से बचें.
- बड़ी बाती का प्रयोग: अखंड ज्योति के लिए विशेष मोटी बाती का प्रयोग करें, ताकि यह ज़्यादा देर तक जल सके और बार-बार इसे बदलने की ज़रूरत न पड़े.
- हवा से बचाएँ: ऐसी जगह पर अखंड ज्योति रखें जहाँ हवा का झोंका उसे बुझा न सके. उसे किसी काँच के कवर या ऐसी जगह पर रखें जहाँ सीधी हवा न लगे.
- लगातार तेल/घी डालते रहें: सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अखंड ज्योति को बुझने न दें. एक छोटी दीया या घी की बोतल हमेशा पास रखें ताकि लौ को बुझे बिना, धीरे-धीरे घी या तेल डालते रहें.
- ज़मीन पर न रखें: अखंड ज्योति को सीधे ज़मीन पर न रखें. उसे चौकी पर, मिट्टी की थाली पर या किसी ऊँचे आसन पर रखें.
ये ग़लतियाँ करने से बचें:
- अखंड ज्योति को बिलकुल भी बुझने न दें, इसे अशुभ माना जाता है.
- ग़लत या अपवित्र तेल/घी का प्रयोग न करें.
- ज्योति के आस-पास ज्वलनशील वस्तुएँ न रखें.
- कमरे को अँधेरा रखकर ही अखंड ज्योति की रोशनी पर भरोसा न करें. हल्की रोशनी ज़रूर रखें.
नवरात्रि के इन पावन दिनों में इन नियमों का पालन करने से माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है. अगर आप पूरी श्रद्धा और भक्ति से इन बातों का ध्यान रखते हैं, तो आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा.
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