Jharkhand Mukti Morcha: बारीडीह के बजरंग चौक पर 40 साल पुरानी 9 दुकानें ध्वस्त, दुकानदारों में आक्रोश, कांग्रेस JMM का प्रदर्शन
News India Live, Digital Desk: झारखंड के जमशेदपुर शहर में बुधवार को अतिक्रमण (encroachment) के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया. टाटा स्टील यूआईएसएल (Tata Steel UISL) और जमशेदपुर नोटिफाइड एरिया कमेटी (JNAC) की एक संयुक्त टीम ने बारीडीह के बजरंग चौक (Baridih Bajrang Chowk, Jamshedpur) पर यह अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की. इस दौरान लगभग 40 वर्ष से संचालित हो रही 9 दुकानों को पूरी तरह से ध्वस्त (demolished 9 shops) कर दिया गया, जिससे प्रभावित दुकानदारों में भारी आक्रोश (shopkeepers protest) फैल गया.
सुबह शुरू हुआ अभियान, राजनीतिक दलों ने भी किया विरोध
दोपहर 12 बजे शुरू हुआ यह अभियान प्रशासनिक मजिस्ट्रेट की कड़ी निगरानी में करीब चार घंटे तक चला. अतिक्रमण हटाने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था. जैसे ही बुलडोजर (Bulldozer action) मौके पर पहुंचा, दुकानदारों में हड़कंप मच गया. कुछ दुकानदारों ने बुलडोजर के सामने खड़े होकर इस अभियान को रोकने की असफल कोशिश की, लेकिन प्रशासन के सख्त रवैये के कारण उन्हें पीछे हटना पड़ा. कई दुकानदार तो अपना सामान भी नहीं निकाल पाए. हटाई गई दुकानों में स्टेशनरी, पान, साइकिल रिपेयरिंग, धोबी (Laundry shops) और नाश्ते की दुकानें शामिल थीं, जिनसे कई परिवारों की रोजी-रोटी चलती थी.
क्या है विध्वंस का कारण? बनेगा टाटा मणिपाल मेडिकल कॉलेज का गेट
अधिकारियों के अनुसार, जिस स्थान पर ये दुकानें मौजूद थीं, वहाँ प्रस्तावित टाटा मणिपाल मेडिकल कॉलेज (Tata Manipal Medical College) का मुख्य द्वार (Main Gate) बनाया जाएगा. इसी कारण से इन दुकानों को हटाया गया है.
बुलडोजर के सामने खड़े हुए कांग्रेसी नेता
इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों (political parties in Jamshedpur) ने भी हस्तक्षेप किया. कांग्रेस के ज़िलाध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे अपने समर्थकों के साथ मौके पर पहुंचे और बुलडोजर के सामने खड़े होकर विरोध जताया (Congress protests demolition). कुछ समय बाद पुलिस की सक्रियता से उन्हें हटना पड़ा, और कार्रवाई फिर से शुरू हो गई. इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेताओं ने भी इस अभियान का विरोध किया, लेकिन प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी और अतिक्रमण बताकर अभियान जारी रखा गया.
दुकानदारों ने सुनाई आपबीती, पुनर्वास की मांग
भोला रजक नामक एक प्रभावित दुकानदार ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि उन्होंने बैंक से लोन (bank loan) लेकर यह दुकान शुरू की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि पहले उनसे कहा गया था कि मेडिकल कॉलेज की बाउंड्री बनने के बाद भी उन्हें दुकान लगाने की अनुमति मिलेगी, मगर अब बिना किसी वैकल्पिक जगह या पुनर्वास (rehabilitation demand) के उन्हें हटा दिया गया है. भोला सहित अन्य सभी विस्थापित दुकानदारों ने प्रशासन से पुनर्वास की मांग की है, ताकि वे अपनी रोजी-रोटी दोबारा कमा सकें. दुकानदारों ने यह भी घोषणा की है कि वे उपायुक्त कार्यालय (Deputy Commissioner's office) जाकर पुनर्वास की मांग उठाएंगे.
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