Jharkhand Government : हाईकोर्ट ने बालू खनन पर स्टे हटाने से किया इनकार, राजस्व का भारी नुकसान
News India Live, Digital Desk: Jharkhand Government : झारखंड सरकार को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है, क्योंकि हाईकोर्ट ने बालू खनन (Sand Mining) पर लगे स्टे (स्थगन आदेश) को हटाने से इनकार कर दिया है. यह राज्य सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती है, खासकर राजस्व और विकास परियोजनाओं के नज़रिए से, क्योंकि बालू खनन से न केवल राजस्व मिलता है बल्कि कई विकास कार्य भी इससे प्रभावित होते हैं. यह फैसला दिखाता है कि अदालतें पर्यावरण और नियमों के उल्लंघन के मामलों में सख्ती बरत रही हैं.
बालू खनन पर स्टे जारी रहने से झारखंड सरकार पर असर:
- राजस्व का नुकसान: बालू खनन पर रोक से राज्य सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान होता है. यह पैसा आमतौर पर सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों में इस्तेमाल होता है.
- विकास परियोजनाओं पर असर: बालू का इस्तेमाल भवन निर्माण और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में होता है. इसकी कमी से कई सरकारी और निजी परियोजनाएं अधूरी रह सकती हैं या उनकी लागत बढ़ सकती है.
- अवैध खनन को बढ़ावा: कई बार जब वैध खनन पर रोक लगती है, तो अवैध बालू खनन बढ़ जाता है. इससे पर्यावरण को और नुकसान होता है और कानून-व्यवस्था की समस्या भी खड़ी होती है.
- उच्च न्यायालय का रुख: झारखंड हाई कोर्ट ने इस मामले में पर्यावरण संबंधी चिंताओं और नियमों के पालन पर ज़ोर दिया है. कोर्ट का यह कदम राज्य सरकार पर नियमों के अनुसार काम करने और पर्यावरण संरक्षण के प्रति गंभीरता बरतने का दबाव डालता है.
- क्या था मामला: हाई कोर्ट ने पहले बालू खनन पर यह कहकर रोक लगाई थी कि सरकार नियमों का पालन नहीं कर रही है या पर्यावरण संबंधी क्लीयरेंस में खामियां हैं. सरकार ने इस स्टे को हटाने की अपील की थी, जिसे अब अदालत ने ठुकरा दिया है.
अब सरकार को नए सिरे से रणनीति बनानी होगी ताकि खनन से जुड़े नियमों का पालन किया जा सके और पर्यावरण संबंधी सभी क्लीयरेंस हासिल की जा सकें. तभी इस स्टे को हटाया जा सकेगा. इस बीच, राज्य की कई विकास परियोजनाएं अधर में लटक सकती हैं.
--Advertisement--