Jharkhand Congress Crisis : क्या खतरे में है सरकार? अपने ही विधायकों ने लगाए अपनी ही सरकार पर गंभीर आरोप

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News India Live, Digital Desk :  Jharkhand Congress Crisis : झारखंड में बाहर कड़ाके की ठंड पड़ रही है, लेकिन रांची के सियासी गलियारों का तापमान (Political Temperature) अचानक बढ़ गया है। वजह विपक्ष नहीं, बल्कि सत्ताधारी दल के अंदर मची खींचतान है। हम सब जानते हैं कि झारखंड में अभी JMM, कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन (महागठंबधन) की सरकार है। ऊपर से सब ठीक दिखता है, लेकिन अंदरखाने "सब चंगा सी" वाली बात नहीं है।

ताजा मामला कांग्रेस के विधायकों (Congress MLAs) की नाराजगी का है। दबी जुबान में और कुछ ने तो खुलकर यह शिकायत करनी शुरू कर दी है कि"सरकार तो हमारी है, लेकिन हमारी सुनवाई कहीं नहीं है।"

"अफसर शाही हावी है"
विधायकों की सबसे बड़ी शिकायत 'अधिकारी राज' (Bureaucracy) को लेकर है। उनका कहना है कि जब वे किसी काम के लिए अफसरों को फोन करते हैं या जनता की समस्या बताते हैं, तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है। सोचिए, जब एक चुने हुए विधायक (MLA) का फोन अधिकारी नहीं उठा रहे, तो आम जनता का काम कैसे होता होगा?
कांग्रेस के एक विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर यहाँ तक कह दिया कि गठबंधन धर्म का पालन सिर्फ एक तरफ से हो रहा है, सत्ता में हिस्सेदारी तो मिली है लेकिन 'पावर' नहीं।

मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट?
सियासी पंडित मानते हैं कि यह नाराजगी बेवजह नहीं है। झारखंड में मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion) या फेरबदल की चर्चा जोरों पर है। ऐसे वक्त में हर विधायक चाहता है कि उसे मंत्री पद की "लाल बत्ती" मिल जाए। यह जो बयानों के तीर छोड़े जा रहे हैं, इसे 'प्रेशर पॉलिटिक्स' (Pressure Politics) भी कहा जा सकता है। कांग्रेस का खेमा चाहता है कि अगर बदलाव हो, तो उनके ज्यादा से ज्यादा लोगों को जगह मिले।

हेमंत सोरेन के लिए चुनौती
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए यह स्थिति किसी 'टाइट रोप वॉक' (रस्सी पर चलने) से कम नहीं है। एक तरफ बीजेपी जैसी मजबूत विपक्ष है जो हर गलती पर नजर गड़ाए बैठी है, और दूसरी तरफ अपने ही साथी हैं जो रह-रह कर आंखें दिखा रहे हैं।

फिलहाल, कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व ने चुप्पी साधी हुई है और डैमेज कंट्रोल की कोशिश जारी है। लेकिन सवाल यह है क्या यह आग ठंडी हो जाएगी या फिर झारखंड की राजनीति में कोई नया भूचाल आने वाला है?

अगर आप भी झारखंड की राजनीति पर नजर रखते हैं, तो समझ जाइए कि अगले कुछ दिन काफी हलचल वाले होने वाले हैं।

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