Israel Nuclear capability : क्या क़तर के पास इसराइल को जवाब देने की ताक़त है? जानिए सैन्य क्षमता में कौन कितना मज़बूत
News India Live, Digital Desk: मौजूदा हालात को देखते हुए एक सवाल जो सबके मन में उठ रहा है, वो ये है कि क्या क़तर के पास इतनी सैन्य शक्ति है कि वो इसराइल की किसी भी कार्रवाई का जवाब दे सके? अगर हम दोनों देशों की ताक़त को देखें, तो ज़मीन-आसमान का फ़र्क़ नज़र आता है सीधे शब्दों में कहें तो इसराइल सैन्य मामलों में क़तर से बहुत आगे है।
आइए, इसे थोड़ा आसान भाषा में समझते हैं।
हवाई ताक़त में कौन आगे?
क़तर ने हाल के सालों में अपनी वायु सेना को मज़बूत करने के लिए काफ़ी पैसा ख़र्च किया है। उसने फ़्रांस से रफ़ाल, यूरोप से यूरोफ़ाइटर टाइफ़ून और अमेरिका से F-15QA जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान ख़रीदे हैं। इसके अलावा उसके पास लड़ाकू हेलीकॉप्टर अपाचे भी हैं। काग़ज़ पर ये ताक़त अच्छी दिखती है, लेकिन इसराइल की वायु सेना कहीं ज़्यादा बड़ी, अनुभवी और तकनीकी रूप से उन्नत है। इसराइल के पास F-35 जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हैं, जिन्हें दुनिया के सबसे बेहतरीन विमानों में गिना जाता है।
ज़मीनी सेना का हाल
ज़मीनी ताक़त के मामले में भी क़तर, इसराइल के सामने कहीं नहीं ठहरता। क़तर की सेना में सक्रिय सैनिकों की संख्या लगभग 17,000 है, जो काफ़ी कम है। दूसरी ओर, इसराइल के पास लगभग 170,000 सक्रिय सैनिक और 465,000 रिज़र्व सैनिक हैं। यानी ज़रूरत पड़ने पर इसराइल के पास एक बहुत बड़ी सेना तैयार हो सकती है। क़तर के पास जर्मनी से ख़रीदे गए लेपर्ड 2A7 टैंक ज़रूर हैं लेकिन संख्या और अनुभव में इसराइली सेना का पलड़ा भारी है।
मिसाइल और हवाई रक्षा प्रणाली
आज की लड़ाई में मिसाइल और एयर डिफ़ेंस सिस्टम की भूमिका बहुत अहम होती है। क़तर ने अमेरिका से पैट्रियट PAC-3 और थाड (THAAD) जैसी आधुनिक हवाई रक्षा प्रणालियाँ ख़रीदी हैं। ये सिस्टम बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने में सक्षम हैं। क़तर के पास कम दूरी तक मार करने वाली चीनी SY-400 बैलिस्टिक मिसाइलें भी हैं।
वहीं, इसराइल के पास दुनिया का सबसे बेहतरीन और आज़माया हुआ एयर डिफ़ेंस सिस्टम है, जिसमें आयरन डोम, डेविड स्लिंग और ऐरो शामिल हैं। ये सिस्टम उसे किसी भी तरह के हवाई हमले से बचाने में काफ़ी हद तक सक्षम हैं। इतना ही नहीं, माना जाता है कि इसराइल के पास परमाणु हथियार भी हैं, जो उसे इस क्षेत्र में बहुत शक्तिशाली बनाते हैं।
तो क्या क़तर कोई जवाब नहीं दे सकता?
सैन्य नज़रिए से देखें तो क़तर के लिए इसराइल को सीधे तौर पर सैन्य जवाब देना लगभग नामुमकिन है। दोनों की ताक़त में बहुत बड़ा अंतर है। क़तर की सैन्य रणनीति ज़्यादातर बचाव और abschreckung (deterrence) पर आधारित है।
हालांकि, क़तर की असली ताक़त उसकी कूटनीति और आर्थिक क्षमता है।
- अमेरिका का अहम सहयोगी: क़तर में मध्य पूर्व का सबसे बड़ा अमेरिकी एयरबेस अल उदीद मौजूद है।इस वजह से अमेरिका क़तर की सुरक्षा को लेकर हमेशा गंभीर रहता है।
- तुर्की का साथ: क़तर के तुर्की के साथ भी मज़बूत सैन्य संबंध हैं और तुर्की के सैनिक भी क़तर में तैनात हैं।
- आर्थिक ताक़त: क़तर दुनिया के सबसे बड़े LNG (लिक्विफ़ाइड नेचुरल गैस) निर्यातकों में से एक है यह उसकी एक बड़ी ताक़त है, जिसका इस्तेमाल वह कूटनीतिक दबाव बनाने के लिए कर सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय मीडिया: अल जज़ीरा जैसा अंतर्राष्ट्रीय मीडिया नेटवर्क भी क़तर को अपनी बात दुनिया तक पहुँचाने में मदद करता है।
इसलिए, अगर क़तर कोई जवाब देगा, तो उसकी संभावना सैन्य न होकर कूटनीतिक या आर्थिक ज़्यादा होगी। सीधे सैन्य टकराव में क़तर को भारी नुक़सान उठाना पड़ सकता है, और वो ऐसा जोखिम उठाने से बचेगा।
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