Indira Ekadashi 2025 : पितृ पक्ष की सबसे शक्तिशाली एकादशी, जानें तारीख, मुहूर्त और एक खास उपाय

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News India Live, Digital Desk: पितृ पक्ष का समय हमारे पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए समर्पित होता है। इसी श्राद्ध पक्ष के दौरान आने वाली एकादशी का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की इस एकादशी को 'इंदिरा एकादशी' के नाम से जाना जाता है यह व्रत न केवल भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाता है, बल्कि पितरों को मोक्ष का मार्ग भी दिखाता है।

कहा जाता है कि यदि कोई पितृ किसी कारणवश यमलोक में कष्ट भोग रहे हों, तो इस एकादशी का व्रत विधि-विधान से करके उसका पुण्य अपने पितरों को अर्पित करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।आइए जानते हैं साल 2025 में इंदिरा एकादशी की सही तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पारण का समय और इस दिन भगवान विष्णु को क्या विशेष भोग लगाना चाहिए।

इंदिरा एकादशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

  • पूजा का शुभ मुहूर्तः वैसे तो पूरा दिन ही भगवान विष्णु की उपासना के लिए शुभ है, लेकिन कुछ विशेष मुहूर्त भी हैं:
    • विजय मुहूर्तः दोपहर 02:18 से 03:07 तक
    • गोधूलि मुहूर्तः शाम 06:24 से 06:47 तक

व्रत पारण का समय (Vrat Paran Time)

एकादशी व्रत का पारण यानी व्रत खोलने का भी विशेष महत्व होता है। इसे द्वादशी तिथि में सही समय पर करना बहुत जरूरी है।

  • पारण का शुभ मुहूर्तः सुबह 06:07 से सुबह 08:34 के बीच।

इंदिरा एकादशी की सरल पूजा विधि

  1. इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प लें।
  2. घर के मंदिर में एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  3. भगवान विष्णु का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।
  4. उन्हें पीले चंदन, पीले फूल, अक्षत और तुलसी दल अर्पित करें। ध्यान रहे कि भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी अनिवार्य है, इसके बिना वे भोग स्वीकार नहीं करते।
  5. घी का दीपक और धूप जलाएं। इसके बाद इंदिरा एकादशी की व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
  6. 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें।
  7. क्योंकि यह एकादशी पितृ पक्ष में आती है, इसलिए इस दिन पितरों का तर्पण, पिंडदान और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

भगवान विष्णु को लगाएं यह विशेष भोग

भगवान विष्णु को पीली वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं। इस दिन उन्हें प्रसन्न करने के लिए आप इनमें से कोई भी भोग लगा सकते हैं:

  • पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बना पंचामृत विष्णु जी को बहुत प्रिय है। इसमें तुलसी दल अवश्य डालें।
  • सात्विक खीर: केसर डालकर बनाई गई सात्विक खीर का भोग भी लगा सकते हैं।
  • पंजीरी और फल: आटे की पंजीरी और मौसम के अनुसार फलों का भोग भी अर्पित किया जा सकता है।

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