LAC पर भारत की धाकड़ तैयारी चीन को हर मोर्चे पर जवाब देने को तैयार
News India Live, Digital Desk: भारत चीन सीमा, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कहते हैं, पर इन दिनों भारतीय सेना अपनी तैयारियां बेहद तेजी से कर रही है. साल 2020 के गलवान घाटी संघर्ष से मिले सबक के बाद, भारत ने अपनी रक्षा रणनीति में एक बड़ा बदलाव किया है. अब हमारा जोर सिर्फ सीमा की रखवाली पर नहीं, बल्कि चीन की तरफ से किसी भी चुनौती का मुंहतोड़ जवाब देने की मजबूत तैयारी पर है.
हिमालय की छाती पर इंफ्रास्ट्रक्चर का नया जाल
द वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक ताजा रिपोर्ट और विभिन्न रक्षा स्रोतों के मुताबिक, भारत इस वक्त हिमालय की दुर्गम चोटियों और घाटियों में युद्धस्तर पर बुनियादी ढांचा तैयार कर रहा है. सैकड़ों-हजारों करोड़ रुपये खर्च करके सड़कें, सुरंगें, पुल और हवाई पट्टियां बिछाई जा रही हैं. इसका मकसद ये है कि हमारी सेना और जरूरी सामान सरहद तक जल्द से जल्द पहुंच सकें, जो पहले एक बड़ी चुनौती थी.
सीमा सड़क संगठन (BRO) की अहम भूमिका
इस पूरे अभियान की धुरी है बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO). 2025 में बीआरओ का बजट 810 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. बीआरओ पिछले कुछ सालों में 2,800 किलोमीटर से ज़्यादा सड़कें बना चुका है. अकेले 2023 में ही बीआरओ ने 2,222 किलोमीटर से ज़्यादा सड़कों का निर्माण किया, जिसमें रिकॉर्ड 72 परियोजनाएं शामिल थीं. हजारों किलोमीटर नई सड़कें, दर्जनों हेलीपैड और कई नए हवाई अड्डे या तो बनाए जा रहे हैं या उनका अपग्रेडेशन किया जा रहा है
प्रमुख परियोजनाओं पर एक नज़र:
- न्योमा एयरबेस: लद्दाख में 14,000 फीट की ऊंचाई पर बन रहा न्योमा एयरबेस चीन सीमा से महज़ 19 मील (लगभग 30 किलोमीटर) दूर है.यह एयरबेस C-130J जैसे बड़े परिवहन विमानों के उतरने में सक्षम होगा, जिससे हमारी हवाई ताकत बढ़ेगी और सैनिकों को तेजी से पहुंचाने में मदद मिलेगी.भारत 30 से ज़्यादा हेलिपैड भी बना चुका है और कई हवाई पट्टियों को अपग्रेड किया गया है.
- हवाई कनेक्टिविटी का विस्तार: भारतीय वायु सेना पूर्वी सीमा पर 20 से ज़्यादा एयरबेस को अपग्रेड कर रही है. इसमें लेह में दूसरी रनवे का निर्माण भी शामिल है.चाबुआ और हाशिमारा जैसे एयरबेस को भी बेहतर और आधुनिक बनाया जा रहा है, जहां से राफेल फाइटर जेट्स उड़ते हैं.
चीन की चिंता और भारत की तैयारी
चीन भी अपनी तरफ लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार कर रहा है. लद्दाख के पास नए एयरबेस बनाना और पुराने एयरबेस को अपग्रेड करना उसी का हिस्सा है.अरुणाचल प्रदेश के पास ल्हुंजे एयरबेस को भी चीन तेजी से विकसित कर रहा है. हालांकि, भारत भी किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए कमर कस रहा है. भारत ने अपनी S-400 वायु रक्षा प्रणाली को भी तैनात किया है, जो चीनी लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और ड्रोन से 400 किलोमीटर तक सुरक्षा दे सकती है. विशेषज्ञ बताते हैं कि अब चीन 1962 जैसा कोई औचक हमला आसानी से नहीं कर पाएगा.यह कहना गलत नहीं होगा कि अब LAC पर भारतीय सेना हर चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार है
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