Indian Law : सहमति से बना रिश्ता, बाद में हुआ ब्रेकअप ,क्या यह अपराध है? - कर्नाटक हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
News India Live, Digital Desk : आज के दौर में रिश्तों के टूटने और उसके बाद कानूनी लड़ाइयों की खबरें आम हो गई हैं। कई बार सहमति से बने रिश्तों के टूटने पर भी बात पुलिस और अदालत तक पहुंच जाती है, जहां अक्सर 'शादी का झांसा देकर रेप' करने जैसे गंभीर आरोप लगाए जाते हैं। ऐसे ही मामलों पर एक बड़ी और स्पष्ट टिप्पणी करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जो भविष्य में ऐसे केसों के लिए एक नजीर बन सकता है।
हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि अगर कोई रिश्ता दो लोगों की आपसी सहमति से बनता है और बाद में वह निराशा में खत्म होता है, तो उसे सिर्फ इस आधार पर अपराध, खासकर 'रेप' जैसा संगीन जुर्म नहीं माना जा सकता।
क्या था पूरा मामला?
यह मामला एक व्यक्ति से जुड़ा था, जिस पर उसकी पूर्व प्रेमिका ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार), 420 (धोखाधड़ी) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज कराया था। महिला का आरोप था कि व्यक्ति ने उससे शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाए और बाद में शादी करने से इनकार कर दिया। आरोपी ने इन आरोपों को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
जस्टिस एम नागाप्रसन्ना की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने पाया कि:
- रिश्ता पूरी तरह सहमति पर आधारित था: दोनों पक्ष एक-दूसरे को लंबे समय से जानते थे और उनके बीच जो भी संबंध बने, वे पूरी तरह से आपसी सहमति पर आधारित थे।
- निराशा अपराध नहीं है: कोर्ट ने कहा, "एक सहमति से बना रिश्ता, जो बाद में निराशा में खत्म होता है, उसे आपराधिक कार्यवाही का आधार नहीं बनाया जा सकता।"
- शादी का हर वादा रेप का आधार नहीं: कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सिर्फ इसलिए कि व्यक्ति ने अपना वादा नहीं निभाया, उसके द्वारा बनाए गए शारीरिक संबंध को 'रेप' नहीं कहा जा सकता। रेप का आरोप तब बनता है जब संबंध बनाने के लिए सहमति ही 'धोखे' से ली गई हो।
- कानून का दुरुपयोग: कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर ऐसे मामलों को आपराधिक कार्यवाही के लिए अनुमति दी जाती है, तो यह कानून का दुरुपयोग होगा और न्याय का मजाक बनेगा।
इस तल्ख टिप्पणी के साथ, कर्नाटक हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता व्यक्ति के खिलाफ चल रही पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।
क्या हैं इस फैसले के मायने?
हाईकोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो व्यक्तिगत संबंधों के टूटने पर कानूनी धाराओं का दुरुपयोग करके बदला लेने की कोशिश करते हैं। यह फैसला सहमति से बने रिश्तों और अपराध के बीच एक स्पष्ट रेखा खींचता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कानूनों का इस्तेमाल सही मंशा के साथ किया जाए, न कि व्यक्तिगत स्कोर निपटाने के लिए।
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