Indian Foreign Policy : जब दुनिया देख रही थी, तियानजिन में दिखी मोदी, जिनपिंग और पुतिन की गर्मजोशी, एक-दूसरे को लगाया गले
News India Live, Digital Desk: Indian Foreign Policy : तियानजिन में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। मंच पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच गजब की गर्मजोशी देखने को मिली। तीनों नेताओं ने मुस्कुराते हुए एक-दूसरे को गले लगाया, जो मौजूदा वैश्विक राजनीतिक माहौल में एक बड़ा संदेश देता है।
यह मौका SCO के एक औपचारिक कार्यक्रम का था, जहां सदस्य देशों के सभी प्रमुख नेता मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान जब तीनों नेता एक साथ आए, तो उनके बीच की केमिस्ट्री देखने लायक थी। यह सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात नहीं थी, बल्कि इसमें एक सहजता और अपनापन दिखाई दे रहा था, जो आमतौर पर ऐसे बड़े अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कम ही देखने को मिलता है।
इस गर्मजोशी के क्या हैं मायने?
इस तस्वीर के कई गहरे मायने निकाले जा रहे हैं, खासकर ऐसे समय में जब भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव की खबरें आती रहती हैं और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया दो खेमों में बंटी नजर आ रही है।
- आपसी रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने का संकेत: भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद के बीच, दोनों नेताओं का इस तरह गले मिलना यह दिखाता है कि दोनों देश बातचीत के रास्ते खुले रखना चाहते हैं और तनाव कम करने की कोशिश कर रहे हैं।
- पश्चिमी देशों को एक संदेश: यह मुलाकात अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए भी एक बड़ा संदेश है। यह दिखाता है कि ये तीनों बड़ी शक्तियां पश्चिमी दबाव के आगे झुकने वाली नहीं हैं और अपने हितों के लिए एक साथ खड़ी हो सकती हैं।
- SCO की बढ़ती ताकत: यह तस्वीर SCO की बढ़ती अहमियत को भी दर्शाती है। यह संगठन अब सिर्फ एक क्षेत्रीय समूह नहीं रह गया है, बल्कि वैश्विक राजनीति को प्रभावित करने वाली एक बड़ी ताकत के रूप में उभर रहा है।
हालांकि, मंच पर दिखी यह दोस्ती असल में जमीन पर कितनी उतरेगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन एक बात तो तय है कि तियानजिन में मोदी, जिनपिंग और पुतिन की इस मुलाकात ने दुनिया भर के कूटनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है। यह बताता है कि आज की दुनिया में रिश्ते कितने जटिल और बहुआयामी हो गए हैं, जहां एक तरफ मतभेद होते हैं, तो दूसरी तरफ साथ मिलकर आगे बढ़ने की संभावनाएं भी तलाशी जाती हैं।
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