झारखंड के छात्रों पर बढ़ा बोझ ,परीक्षा फीस में 35% की बढ़ोतरी, अभिभावकों की जेब ढीली होनी तय

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News India Live, Digital Desk : वैसे तो हम सब महंगाई का रोना रोज ही रोते हैं ,कभी पेट्रोल महंगा, तो कभी सब्जी। लेकिन अब इस महंगाई की आंच बच्चों की पढ़ाई-लिखाई तक भी पहुँच गई है। झारखंड एकेडमिक काउंसिल यानी जैक (JAC) ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिसने मैट्रिक (10वीं) और इंटर (12वीं) के लाखों छात्रों और उनके माता-पिता की चिंता बढ़ा दी है।

सीधे 35% बढ़ा दी फीस!
खबर थोड़ी कड़वी है, लेकिन सच है। जैक ने परीक्षा शुल्क में मामूली नहीं, बल्कि लगभग 35 प्रतिशत (35%) की बढ़ोतरी कर दी है। सोचिए, झारखंड जैसा राज्य जहाँ का बड़ा हिस्सा ग्रामीण और मजदूर वर्ग से आता है, वहां एकाएक इतना शुल्क बढ़ा देना किसी झटके से कम नहीं है।

अब कितना देना होगा पैसा?
पहले जहाँ फॉर्म भरने में जो पैसे लगते थे, अब उससे काफी ज्यादा देने होंगे। इसका सीधा असर उन मिडिल क्लास और गरीब परिवारों पर पड़ेगा जो पाई-पाई जोड़कर अपने बच्चों को बोर्ड की परीक्षा दिलाते हैं। फॉर्म की कीमत से लेकर परीक्षा शुल्क तक—हर चीज़ में इजाफा हुआ है।

क्यों बढ़ाया दाम?
अधिकारियों का कहना है कि कागज, प्रिंटिंग और परीक्षा केंद्रों का खर्च बढ़ गया है, इसलिए यह फैसला लेना मजबूरी थी। तर्क जो भी हो, लेकिन हकीकत यही है कि इस फैसले ने 'सस्ती शिक्षा' के वादों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पेरेंट्स और छात्र नाखुश
जैसे ही यह खबर सामने आई, अभिभावकों के माथे पर शिकन आ गई। कई लोगों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अक्सर कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से होते हैं। ऐसे में यह अतिरिक्त बोझ उन पर भारी पड़ेगा। अब देखना यह होगा कि क्या छात्र संगठन इसका विरोध करते हैं या सरकार इस पर कोई पुनर्विचार करती है।

फिलहाल, अगर आप या आपके घर का कोई बच्चा इस बार जैक बोर्ड से एग्जाम देने वाला है, तो अपनी तैयारी के साथ-साथ थोड़े एक्स्ट्रा पैसों का इंतज़ाम भी अभी से कर लीजिए।

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