झारखंड में जमीन का दाखिल-खारिज ठप, सॉफ्टवेयर की एक गलती से लाखों रैयत परेशान, 15 दिनों से नहीं हो रहा काम!
अगर आप झारखंड में अपनी जमीन का दाखिल-खारिज (Land Mutation) कराने की सोच रहे हैं, तो फिलहाल आपको निराश होकर लौटना पड़ सकता है. पिछले 15 दिनों से पूरे राज्य में जमीन के म्यूटेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन ही नहीं हो पा रहे हैं. लोग प्रज्ञा केंद्रों (Common Service Centers) के चक्कर लगाकर थक चुके हैं, लेकिन नतीजा सिफर है. इस तकनीकी खामी की वजह से न सिर्फ आम रैयत (जमीन मालिक) परेशान हैं, बल्कि प्रज्ञा केंद्र के संचालक और अंचल कार्यालयों के कर्मचारी भी मुश्किल में हैं.
कहां आ रही है दिक्कत?
प्रज्ञा केंद्र के संचालकों के मुताबिक, यह पूरी समस्या सॉफ्टवेयर में आई एक गड़बड़ी के कारण हो रही है. जब वे किसी की जमीन का म्यूटेशन करने के लिए ऑनलाइन आवेदन भरते हैं, तो प्रक्रिया कुछ इस तरह फंस जाती है:
- पहला और दूसरा स्टेप: आवेदन के पहले दो चरण तो आसानी से पूरे हो जाते हैं.
- तीसरा स्टेप: जैसे ही तीसरे चरण में जमीन की डीड (deed) का नंबर और अन्य जानकारी भरी जाती है, सॉफ्टवेयर "डज नॉट मैच" (Does not match) का एरर दिखाकर आगे बढ़ने से रुक जाता है.
इसी एक एरर की वजह से 15 दिनों से अंचल कार्यालयों में म्यूटेशन का एक भी नया आवेदन नहीं पहुंच पा रहा है.
कौन सा काम हो रहा है?
अंचल कार्यालय के कर्मचारियों का कहना है कि वे इस समस्या के लिए झारनेट (JharNet) और एनआईसी (NIC) को जिम्मेदार मान रहे हैं. उन्होंने इस बारे में अपने बड़े अधिकारियों को जानकारी दे दी है.
फिलहाल, सिर्फ एक ही तरह का म्यूटेशन हो पा रहा है, जिसे 'सुओ मोटो म्यूटेशन' कहते हैं. यानी, जब कोई व्यक्ति NGDRS (नेशनल जेनेरिक डॉक्यूमेंट रजिस्ट्रेशन सिस्टम) के जरिए अपनी संपत्ति की रजिस्ट्री कराता है, तो उसके दस्तावेज अपने आप म्यूटेशन के लिए अंचल कार्यालय पहुंच जाते हैं. इसके अलावा, कोई भी व्यक्ति खुद से या प्रज्ञा केंद्र के माध्यम से किसी भी तरह का दाखिल-खारिज का आवेदन नहीं कर पा रहा है.
पहले से ही धीमी है रफ्तार
यह कोई नई समस्या नहीं है. लंबे समय से अंचल कार्यालयों में नेट की धीमी कनेक्टिविटी के कारण म्यूटेशन का काम प्रभावित होता रहा है. नेट इतना धीमा होता है कि कर्मचारी बहुत कम मामलों को ही निपटा पाते हैं. इस वजह से पहले से ही हजारों मामले अटके हुए हैं और अब इस नई सॉफ्टवेयर की दिक्कत ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है.
आम रैयत कभी अंचल कार्यालय तो कभी प्रज्ञा केंद्र के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें कहीं से भी कोई सही जवाब नहीं मिल पा रहा है.
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