आईआईटी रुड़की और उत्तर प्रदेश सरकार ने शुरू किया भारत का पहला बड़े स्तर का किसान कार्बन क्रेडिट मॉडल - मिट्टी से आय का नया अवसर
- उत्तर प्रदेश के किसानों की आय बढ़ोतरी को मृदा स्वास्थ्य सुधार से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने वाला देश का पहला शासन–शैक्षणिक मॉडल
- वैज्ञानिक दृष्टि से प्रमाणित प्रणाली, जो किसानों की आय बढ़ाने, मिट्टी को पुनर्जीवित करने और भारत के नेट-ज़ीरो 2070 लक्ष्य, वैश्विक जलवायु लक्ष्यों और किसान समृद्धि को समर्थन देती है
- उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक पहल जो टिकाऊ खेती को करोड़ों किसानों के लिए दीर्घकालिक आय के अवसर में बदलती है
- भारत के सबसे बड़े कृषि-आधारित जलवायु कार्यक्रम को आकार देने का कॉर्पोरेट अवसर
- आईआईटी रुड़की द्वारा उन्नत डिजिटल मॉनिटरिंग, रिपोर्टिंग और वेरिफिकेशन (DMRV) प्रणाली का उपयोग, जो वैश्विक मानकों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाले कार्बन क्रेडिट सुनिश्चित करती है
- एक वैज्ञानिक, किसान-प्रथम मॉडल जो क्लाइमेट-स्मार्ट कृषि को सशक्त बनाता है
रुड़की, उत्तराखंड / लखनऊ, उत्तर प्रदेश – दिसंबर 09, 2025: उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग द्वारा अधिकृत आईआईटी रुड़की एक अग्रणी कार्यक्रम प्रारम्भ कर रहा है, जिसके माध्यम से किसान वैज्ञानिक रूप से सत्यापित कार्बन क्रेडिट के आधार पर प्रत्यक्ष आय प्राप्त कर सकेंगे। यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप डिजिटल मॉनिटरिंग, रिपोर्टिंग और वेरिफिकेशन (डी.एम.आर.वी.) प्रणाली का उपयोग करेगा। न्यूनतम जुताई, कवर क्रॉपिंग, अवशेष प्रबंधन, कृषि-वनीकरण तथा उन्नत बायो-फर्टिलाइज़र प्रयोग जैसी प्रक्रियाओं से मृदा कार्बन वृद्धि तथा खेत-स्तरीय ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी को वैज्ञानिक रूप से मापा जाएगा तथा इन मूल्यों को सत्यापित कार्बन क्रेडिट में परिवर्तित किया जाएगा। इन क्रेडिट की बिक्री से प्राप्त आय सीधे किसानों के बैंक खातों में हस्तांतरित की जाएगी। किसान-प्रथम दृष्टिकोण को उजागर करने हेतु जनसंदेश इस प्रकार रखा गया है: सीधी कमाई, स्थानीय फायदा।
कार्यक्रम का प्रारम्भ सहारनपुर मंडल से होगा, जिसमें प्रतिवर्ष बड़े पैमाने पर कार्बन क्रेडिट उत्पन्न करने की प्रबल क्षमता है। आईआईटी रुड़की किसानों, कार्बन मार्केट तथा वैश्विक खरीदारों के मध्य आवश्यक संपर्क भी स्थापित करेगा। उद्योग के लिए यह कार्यक्रम पारदर्शी रूप से मापित, वैज्ञानिक रूप से सत्यापित एवं उच्च गुणवत्ता वाले कार्बन क्रेडिट उपलब्ध कराता है-जिससे नेट-जीरो प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाने के साथ-साथ पुनर्योजी कृषि और ग्रामीण आजीविका को भी बढ़ावा मिलेगा।
आईआईटी रूड़की के निदेशक प्रो. के. के. पंत ने कहा, “यह पहल किसानों को जलवायु कार्रवाई में सार्थक भागेदारी देती है, जिससे उनकी टिकाऊ प्रथाएँ प्रत्यक्ष और मापनीय आय में बदलती हैं। वैज्ञानिक कठोरता और जमीनी कार्यान्वयन को जोड़ते हुए, आईआईटी रूड़की कृषि समुदायों को सशक्त बनाने, उनकी क्षमता बढ़ाने और कृषि-आधारित कार्बन क्रेडिट के माध्यम से नए आर्थिक अवसर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
आईआईटी रूड़की के प्रधान अन्वेषक प्रो. ए. एस. मौर्य ने कहा, “हमारा वैज्ञानिक ढांचा सुनिश्चित करता है कि मिट्टी में संग्रहित प्रत्येक टन कार्बन को मापा, सत्यापित और आय में परिवर्तित किया जाए। यह कार्यक्रम सिर्फ कार्बन क्रेडिट के बारे में नहीं है-यह मिट्टी के स्वास्थ्य को पुनर्जीवित करने, कृषि लागत घटाने और करोड़ों किसानों के लिए आय के नए स्रोत बनाने के बारे में है।”
उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के प्रमुख सचिव श्री रविंदर ने कहा, “राज्य सरकार इस परिवर्तनकारी कार्यक्रम में आईआईटी रूड़की की भूमिका का स्वागत करती है। यह साझेदारी किसानों को टिकाऊ प्रथाओं का सीधा लाभ देने के साथ ही भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को भी मजबूत बनाती है।”
इस कार्यक्रम के अंतर्गत बड़े पैमाने पर टिकाऊ कृषि प्रथाओं का शुभारम्भ शीघ्र ही किया जाएगा।
--Advertisement--