Punjab-Haryana conflict : मदद करनी हो तो चिट्ठियां नहीं भेजते , CM मान की तरफ से हरियाणा के मुख्यमंत्री को मिला करारा जवाब
News India Live, Digital Desk: Punjab-Haryana conflict : अभी हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की चिट्ठी की स्याही सूखी भी नहीं थी कि पंजाब की तरफ से उसका तीखा और सीधा जवाब आ गया है। हरियाणा के सीएम ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को चिट्ठी लिखकर किसानों के ट्रैक्टर लौटाने में सहयोग न करने का आरोप लगाया था। अब इस पर पंजाब CM दफ्तर की तरफ से मोर्चा संभालते हुए बलतेज पन्नू ने पलटवार किया है। उन्होंने हरियाणा सरकार की इस चिट्ठी को कोरी "ड्रामाबाज़ी" और सियासत से प्रेरित बताया है।
"ये चिट्ठी-चिट्ठी का खेल बंद कीजिए"
बलतेज पन्नू ने हरियाणा सरकार की नीयत पर सीधे-सीधे सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने एक तीखी मिसाल देते हुए कहा, "जब कहीं बाढ़ आती है, तो मदद करने वाले चिट्ठियां नहीं लिखते, सीधा मदद भेजते हैं। अगर हरियाणा सरकार की नीयत वाकई किसानों के ट्रैक्टर लौटाने की होती, तो वे अब तक गाड़ियां लौटा चुके होते। ये चिट्ठी लिखना और शर्तें लगाना सिर्फ और सिर्फ राजनीति है।"
उन्होंने साफ कहा कि हरियाणा सरकार को यह दिखावा बंद कर देना चाहिए और अगर उनमें जरा भी हमदर्दी है तो किसानों के ट्रैक्टर बिना किसी शर्त के तुरंत वापस करने चाहिए।
"पहले गोलियां चलाईं, अब हमदर्दी का नाटक?"
पन्नू ने किसान आंदोलन के दौरान हरियाणा सरकार के रवैये को याद दिलाते हुए कहा, "यह वही हरियाणा सरकार है जिसने हमारे किसानों पर गोलियां चलवाईं, आंसू गैस के गोले दागे और सड़कें खोद दीं। आज वही सरकार हमदर्दी का नाटक कर रही है।" उन्होंने कहा कि जिस ट्रैक्टर को लौटाने के लिए आज वो मालिकों की पहचान की शर्त रख रहे हैं, उन ट्रैक्टरों के कागज और सारे सबूत किसानों के पास मौजूद हैं। हरियाणा पुलिस चाहे तो एक घंटे में सभी की पहचान कर सकती है, लेकिन उनकी नीयत ही साफ नहीं है।
सारा खेल अपनी गलती छिपाने का?
पंजाब सरकार का मानना है कि हरियाणा सरकार ने किसानों के ट्रैक्टर जब्त करके गलती की है और अब जब चारों तरफ से दबाव पड़ रहा है, तो वे अपनी गलती का ठीकरा पंजाब सरकार पर फोड़कर बचना चाहते हैं। पन्नू ने कहा, "नायब सैनी जी, आपने हमारे किसानों के ट्रैक्टर-ट्रॉलियां जबरदस्ती अपने पास रखी हुई हैं। ये कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि सरासर ज्यादती है। आप ये सियासत बंद कीजिए और चुपचाप हमारे किसानों के वाहन उन्हें सौंप दीजिए।"
इस जवाबी हमले के बाद, ट्रैक्टरों का यह मुद्दा अब दो राज्यों के बीच मान-सम्मान की लड़ाई बनता जा रहा है। एक तरफ हरियाणा कानूनी प्रक्रिया की बात कर रहा ہے, तो वहीं पंजाब इसे हरियाणा की दादागिरी बता रहा है। इस सियासी खींचतान के बीच, किसान आज भी अपने उन ट्रैक्टरों का इंतजार कर रहे हैं, जो उनके लिए सिर्फ एक वाहन नहीं, बल्कि उनकी रोजी-रोटी का जरिया हैं।
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