Home Loan EMI: रेपो रेट घटा या बढ़ने वाला है? होम लोन चुकाएं या निवेश करें - ये हैं फायदे और नुकसान!

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Home Loan EMI: जब भी भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) रेपो रेट में कटौती करता है, तो होम लोन लेने वालों के चेहरे पर अक्सर मुस्कान आ जाती है। ऐसी उम्मीद जगी है कि शायद उनकी EMI (मासिक किस्त) कम हो जाएगी। लेकिन इसके साथ ही एक और बड़ा सवाल खड़ा होता है - क्या यह सही समय है कि होम लोन की बची हुई रकम को एक साथ चुका (Prepay) दिया जाए, या फिर इस पैसे को कहीं और निवेश (Invest) करके ज़्यादा मुनाफ़ा कमाया जाए? चलिए, इस उलझन को सुलझाने की कोशिश करते हैं।

रेपो रेट घटने का मतलब क्या है?

रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों को RBI से पैसा उधार मिलता है। जब यह दर घटती है, तो बैंकों के लिए पैसा सस्ता हो जाता है। ऐसे में, बैंक भी ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन (जैसे होम लोन) पर ब्याज दरें कम कर सकते हैं। इसका सीधा असर यह होता है कि आपकी EMI कम हो सकती है या लोन जल्दी खत्म हो सकता है।

होम लोन प्रीपेमेंट के फ़ायदे:

ब्याज की बचत: होम लोन की अवधि लंबी होती है और इस पर लगने वाला कुल ब्याज काफी ज़्यादा हो सकता है। अगर आप अपनी EMI के अलावा कुछ अतिरिक्त पैसा लोन चुकाने में लगाते हैं, तो आप मूलधन (Principal) पर लगने वाले ब्याज को बचा लेते हैं। इससे लंबी अवधि में लाखों रुपये की बचत हो सकती है।
कर्ज-मुक्त जीवन: होम लोन एक बड़ा ज़िम्मेदारी होती है। इसे जल्दी चुकाने से आप कर्ज के बोझ से मुक्त हो जाते हैं, जिससे मानसिक शांति मिलती है।
टैक्स में राहत: होम लोन के प्रिंसिपल और इंटरेस्ट पर टैक्स में छूट मिलती है। लेकिन प्रीपेमेंट के बाद, आप भविष्य की टैक्स छूट खो देते हैं, जिसका ध्यान रखना ज़रूरी है।

निवेश के फ़ायदे (जब रेपो रेट कम हो):

ज़्यादा रिटर्न की उम्मीद: अगर रेपो रेट कम होने से आपके होम लोन की ब्याज दर भी कम हो जाती है, मान लीजिए 8% प्रति वर्ष, और आप उसी पैसे को कहीं ऐसे म्यूच्यूअल फंड या शेयर में निवेश करते हैं जहां आपको 10-12% या उससे ज़्यादा रिटर्न मिलने की संभावना हो, तो यह ज़्यादा फ़ायदेमंद साबित हो सकता है।
पैसा बढ़ाने का मौका: निवेश से आपका पैसा बढ़ता है, जिससे आप अपने भविष्य के लिए एक बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं।
जोखिम का स्तर: हालांकि, यह याद रखना ज़रूरी है कि निवेश में जोखिम होता है। शेयर बाज़ार या फंड्स में रिटर्न की कोई गारंटी नहीं होती, जबकि लोन चुकाने से सीधा ब्याज बचता है।

तो फ़ैसला क्या करें?

अगर आप ज़्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते और कर्ज़-मुक्त रहना पहली प्राथमिकता है: तो होम लोन प्रीपेमेंट एक सुरक्षित विकल्प है।
अगर आप थोड़ी ज़्यादा जोखिम उठा सकते हैं और ज़्यादा रिटर्न कमाना चाहते हैं: तो आप लोन की EMI के बजाय, बचे हुए पैसे को इक्विटी म्यूचुअल फंड, स्टॉक या अन्य निवेश विकल्पों में लगाने पर विचार कर सकते हैं, जहाँ रिटर्न होम लोन की ब्याज दर से ज़्यादा हो।
अपने होम लोन की मौजूदा ब्याज दर की तुलना संभावित निवेश रिटर्न से करें। अगर निवेश से मिलने वाला संभावित रिटर्न, लोन की ब्याज दर से ज़्यादा है, तो निवेश करना बेहतर हो सकता है।
हमेशा अपनी इमरजेंसी फंड को मज़बूत रखें। लोन प्रीपेमेंट या निवेश करने से पहले सुनिश्चित करें कि आपके पास कम से कम 6 महीने के खर्चों के बराबर इमरजेंसी फंड हो।

सबसे अच्छा तरीका है कि आप किसी वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) से सलाह लें, जो आपकी स्थिति को देखकर सही मार्गदर्शन कर सके।

 

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