Heart Disease : वो 3 आदतें जो हसल कल्चर ने आपको दी हैं और आपकी ज़िंदगी छीन रही हैं
News India Live, Digital Desk: Heart Disease : आजकल के युवाओं के बीच एक नया शब्द बहुत पॉपुलर हो रहा है - 'हसल कल्चर' (Hustle Culture). इसका सीधा सा मतलब है, हर समय काम करते रहना, हमेशा प्रोडक्टिव बने रहना और सफलता के पीछे भागते रहना. सुबह की पहली चाय से लेकर देर रात सोने तक, दिमाग में बस एक ही चीज़ घूमती है - काम. सोशल मीडिया पर "Rise and Grind", "Sleep is for the weak" जैसे नारे इस कल्चर को और बढ़ावा दे रहे हैं. सफलता की यह दौड़ देखने में तो बहुत अच्छी लगती है, लेकिन क्या हमने कभी रुककर सोचा है कि इसकी कीमत हम अपनी सेहत से चुका रहे हैं?
भारत में, खासकर बड़े शहरों में, यह 'हसल कल्चर' अब एक महामारी का रूप लेती जा रही है, जो चुपचाप हमें खराब पोषण और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की खाई में धकेल रही है.
कैसे मार रही है 'हसल कल्चर'?
- खाने का कोई समय नहीं: जब आप हर मिनट को काम से तौलते हैं, तो सबसे पहली कुर्बानी दी जाती है नाश्ते की. मीटिंग्स के चक्कर में दोपहर का खाना डेस्क पर ही फास्ट फूड से होता है और देर रात घर पहुंचने पर जो मिला, खा लिया. इस कल्चर ने "समय पर खाना" और "संतुलित आहार" जैसी बातों को जैसे हमारी डिक्शनरी से ही हटा दिया है. पेट भरने और पोषण लेने के बीच का फर्क हम भूलते जा रहे हैं.
- एक्सरसाइज के लिए 'टाइम नहीं है': "सुबह जल्दी उठकर जिम कौन जाए, इससे अच्छा एक घंटा ज्यादा काम कर लेंगे." यह सोच आम हो गई है. काम के दबाव और लंबे वर्किंग आवर्स के कारण शारीरिक गतिविधि लगभग शून्य हो गई है. शरीर को जंग लग रहा है और हम इसे सफलता की निशानी मानकर खुश हो रहे हैं.
- तनाव बन गया है 'नॉर्मल': लगातार काम का दबाव, हमेशा कनेक्टेड रहने की मजबूरी और टारगेट पूरा करने का स्ट्रेस... यह सब मिलकर हमारे शरीर में कॉर्टिसोल (stress hormone) का स्तर बढ़ा रहा है. यह बढ़ा हुआ तनाव न सिर्फ हमें मानसिक रूप से बीमार कर रहा है, बल्कि यह डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों को भी सीधा न्योता दे रहा है.
एक खतरनाक नतीजा: बीमार होता भारत
एक समय था जब डायबिटीज और दिल की बीमारियां 50 की उम्र के बाद की समस्याएं मानी जाती थीं. आज 25-30 साल के युवा इन बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. खराब खान-पान, एक्सरसाइज की कमी और हद से ज़्यादा तनाव का यह कॉकटेल भारत को 'जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की राजधानी' बना रहा है.
यह समझना ज़रूरी है कि मेहनत करना और महत्वाकांक्षी होना गलत नहीं है. गलत है अपनी सेहत को दांव पर लगाकर सफलता के पीछे अंधाधुंध भागना. असली सफलता वह है जिसमें अच्छा करियर भी हो और अच्छी सेहत भी. अगली बार जब आप काम के लिए अपना लंच स्किप करने की सोचें, तो खुद से बस एक सवाल पूछिएगा - “क्या यह सफलता उस सेहत से ज़्यादा कीमती है, जिसे मैं खो रहा हूं?”
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