हस्तिनपुर और मंत्री जी की फिसली जुबान क्या सच में पुराने इतिहास की सजा भुगत रहा है यह प्राचीन शहर?

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News India Live, Digital Desk : हस्तिनपुर यह सिर्फ उत्तर प्रदेश का एक नक्शा नहीं है, बल्कि भारत के गौरवशाली इतिहास और 'महाभारत' की उस नींव का नाम है जहाँ पांडव और कौरवों की कहानियां आज भी मिट्टी में दफन हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से इस ऐतिहासिक नगर की चर्चा इसकी प्राचीनता की जगह एक राजनीतिक विवाद की वजह से हो रही है। और इस विवाद के केंद्र में हैंउत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री दिनेश खटीक

दरअसल, दिनेश खटीक के एक हालिया बयान ने मेरठ और हस्तिनपुर के इलाके में बड़ा सियासी तूफ़ान खड़ा कर दिया है। उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया जिससे लगा कि वह हस्तिनपुर को 'शापित' (Curseed) मान रहे हैं। जैसे ही यह बात फैली, लोग भड़क उठे और अब मंत्री जी को सफाई देने के लिए मैदान में उतरना पड़ा है।

आखिर हुआ क्या था?
बात शुरू हुई थी विकास और स्थानीय मुद्दों से। खबरों के मुताबिक, मंत्री दिनेश खटीक ने बातों-बातों में हस्तिनपुर के पिछड़ेपन या किसी संदर्भ में उसे 'श्राप' से जोड़ दिया था। हस्तिनपुर के लोग इस शहर को अपनी आस्था का केंद्र मानते हैं। ऐसे में "शापित" जैसा शब्द लोगों को सीधे दिल पर लगा। विपक्ष ने भी इस मौके को हाथ से नहीं जाने दिया और सरकार को 'इतिहास और संस्कृति का अपमान' करने के मुद्दे पर घेरना शुरू कर दिया।

मंत्री जी की सफाई: "मेरी बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया"
जब मामला बढ़ा और अपनी ही ज़मीन खिसकने लगी, तो दिनेश खटीक ने मीडिया के सामने आकर स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना या हस्तिनपुर को बुरा-भला कहना नहीं था।

सफाई देते हुए उन्होंने संकेत दिया कि वह तो स़िर्फ कुछ पुरानी मान्यताओं या विकास में आ रही बाधाओं की बात कर रहे थे, लेकिन उसे धर्म और श्राप से जोड़कर बवाल बना दिया गया। उन्होंने खुद को हस्तिनपुर का बड़ा हितैषी बताते हुए कहा कि वह तो चाहते हैं कि इस नगरी का नाम दुनिया भर में फिर से चमके।

आस्था और सियासत की खींचतान
हस्तिनपुर का इलाका मेरठ जिले के अंतर्गत आता है और यहाँ के लोग अपनी ऐतिहासिक पहचान को लेकर बहुत भावुक रहते हैं। जब कोई मंत्री पद पर बैठा व्यक्ति सरेआम किसी जगह को लेकर ऐसी टिप्पणी करता है, तो उसे स़िर्फ शब्दों की भूल नहीं माना जाता। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला अब स़िर्फ एक 'माफी' या 'सफाई' तक नहीं रुकेगा, बल्कि आने वाले चुनाव में भी इसकी गूँज सुनाई देगी।

हस्तिनपुर का असली गौरव
सच्चाई तो ये है कि हस्तिनपुर 'शापित' नहीं, बल्कि 'शिक्षित' होने और विकास का हक़दार है। गंगा के किनारे बसे इस पौराणिक नगर में पर्यटन और रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। नेताओं को चाहिए कि वे शब्दों के विवाद में उलझने के बजाय, वहां की ऐतिहासिक विरासत को सहेजने के लिए काम करें।

खैर, मंत्री जी ने अपनी बात कह दी है और "मिसइंटरप्रेट" (गलत मतलब निकालना) का कवच पहन लिया है। अब जनता उनकी सफाई को कितनी गहराई से लेती है, ये आने वाले वक्त में साफ हो जाएगा।

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