Guru Purnima : अपने गुरु का आशीर्वाद पाने और सम्मान देने के 6 खास तरीके

Post

News India Live, Digital Desk: Guru Purnima :  गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व, गुरु और शिष्य के पवित्र रिश्ते का उत्सव है। यह वह दिन है जब हम अपने गुरुओं के प्रति अपना आभार और सम्मान प्रकट करते हैं। चाहे वे आपके आध्यात्मिक गुरु हों, शिक्षा गुरु हों, या जीवन में मार्गदर्शन करने वाले कोई भी मार्गदर्शक, यह दिन उन्हें समर्पित है। अगर आप सोच रहे हैं कि इस विशेष अवसर पर अपने गुरु का कैसे अभिनंदन करें और उनकी कृपा प्राप्त करें, तो यहाँ कुछ सरल और प्रभावी तरीके दिए गए हैं जो उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देने में आपकी मदद करेंगे:

गुरु वंदना और पूजन (Invocation and Worship):
सबसे पहले, गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें। फिर अपने गुरु की प्रतिमा, तस्वीर के सामने, या अगर वे उपस्थित हैं तो उनके समक्ष बैठकर विधि-विधान से 'गुरु वंदना' करें। इसमें गुरु के प्रति समर्पित विशेष मंत्रों का जाप, आरती और फूलों का अर्पण शामिल होता है। यह उनकी ऊर्जा का आह्वान करने का एक तरीका है।

चरण स्पर्श और आशीर्वाद (Touching Feet and Blessings):
गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु के चरण छूकर उनका आशीर्वाद लेना बेहद शुभ माना जाता है। यह विनम्रता, समर्पण और अगाध सम्मान का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि जब आप गुरु के चरण स्पर्श करते हैं, तो उनकी तपस्या और सकारात्मक ऊर्जा आप तक पहुँचती है और आपके जीवन में शुभता लाती है।

दक्षिणा और उपहार (Offerings and Gifts):
अपने गुरु को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा या कोई प्रिय उपहार भेंट करें। याद रखें, दक्षिणा केवल धन तक सीमित नहीं है, बल्कि आपकी सेवा, निष्ठा और समर्पण भी हो सकता है। यह गुरु के प्रति आपकी कृतज्ञता और उन्हें दिए गए कष्टों (यदि कोई हों) का प्रतिकार होता है। एक सरल वस्त्र, फल, या ज्ञानवर्धक पुस्तक भी एक उपयुक्त उपहार हो सकती है।

गुरु के उपदेशों का पालन (Following Teachings):
गुरु का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण सम्मान उनके दिए गए ज्ञान और उपदेशों को अपने जीवन में उतारना है। गुरु जो भी सीख देते हैं, उसका उद्देश्य शिष्य का कल्याण करना होता है। उनके आदर्शों पर चलना और उनकी सीखों का पालन करना ही सच्ची गुरु भक्ति है और यही उन्हें सबसे ज़्यादा प्रसन्न करेगा।

सत्संग में सहभागिता (Participation in Satsang):
अगर आपके गुरु कोई प्रवचन या सत्संग आयोजित कर रहे हैं, तो उसमें श्रद्धापूर्वक भाग लें। उनकी बातों को एकाग्र मन से सुनें, उनसे प्रश्न पूछें (यदि अनुमति हो) और उनके विचारों को आत्मसात करने का प्रयास करें। गुरु की संगत में रहने से नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

संकल्प और साधना (Commitment and Practice):
गुरु पूर्णिमा के पवित्र दिन अपने गुरु से प्राप्त ज्ञान को आगे बढ़ाने और स्वयं को और अधिक विकसित करने का संकल्प लें। यह उन्हें समर्पित होकर अपनी आध्यात्मिक, नैतिक या शैक्षिक यात्रा को और मज़बूत करना है। अपने लक्ष्यों के प्रति गंभीर रहें और गुरु के बताए मार्ग पर निरंतर चलें।

गुरु पूर्णिमा केवल एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि गुरु-शिष्य परंपरा का चिरस्थाई और अमूल्य प्रतीक है। इन तरीकों से आप न केवल अपने गुरु को सच्चा सम्मान देंगे, बल्कि स्वयं भी उनकी कृपा, ज्ञान और आशीर्वाद से लाभान्वित होकर अपने जीवन को सार्थक बना पाएंगे।

 

 

--Advertisement--