यूपी में 'ठेके पर नौकरी' करने वालों के दिन फिरेंगे? शोषण खत्म करने के लिए सरकार का बड़ा प्लान

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अगर आप भी उत्तर प्रदेश के किसी सरकारी विभाग में आउटसोर्स या 'ठेके' पर काम करते हैं, तो यह खबर सीधे तौर पर आपके भविष्य और आपकी मेहनत की कमाई से जुड़ी है। सालों से आप जिस अनिश्चितता और शोषण का सामना कर रहे थे, उसे खत्म करने के लिए योगी सरकार एक बहुत बड़ा कदम उठाने जा रही है।

अब तक क्या होता था? अलग-अलग सरकारी विभाग अपनी ज़रूरत के हिसाब से अलग-अलग प्राइवेट एजेंसियों या ठेकेदारों के जरिए कर्मचारी रखते थे। इस व्यवस्था में कई बड़ी खामियां थीं:

  • शोषण: अक्सर एजेंसियां कर्मचारी के नाम पर सरकार से पूरा पैसा लेती थीं, लेकिन कर्मचारी को आधी-अधूरी सैलरी ही देती थीं।
  • कोई सुविधा नहीं: EPF और ESI जैसी जरूरी सामाजिक सुरक्षा की सुविधाएं या तो मिलती ही नहीं थीं, या उनके पैसे काट तो लिए जाते थे, पर जमा नहीं होते थे।
  • नौकरी की कोई गारंटी नहीं: ठेकेदार जब चाहे, जिसे चाहे नौकरी से निकाल देता था।
  • भाई-भतीजावाद: भर्तियों में कोई पारदर्शिता नहीं होती थी।

लेकिन अब यह 'एजेंसी राज' और मनमानी शायद खत्म होने वाली है।

सरकार बना रही है 'उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम'

योगी सरकार अब एक सरकारी संस्था, यानी एक 'निगम' (Corporation) बनाने जा रही है, जो इन सभी आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती और उनके हितों का ध्यान रखेगी।

इस नए निगम से क्या बदलेगा?

  1. अब कोई ठेकेदार नहीं: अब किसी भी सरकारी विभाग को आउटसोर्स कर्मचारी चाहिए होंगे, तो वे किसी प्राइवेट एजेंसी के पास नहीं, बल्कि सीधे इस सरकारी 'सेवा निगम' के पास जाएंगे।
  2. पूरी सैलरी, पक्की सुविधाएं: यह निगम सुनिश्चित करेगा कि हर कर्मचारी को उसकी पूरी सैलरी मिले। साथ ही, EPF और ESI जैसी सभी कानूनी सुविधाएं उसे समय पर मिलें, इसकी गारंटी भी सरकार की होगी।
  3. पारदर्शिता और डेटाबेस: किस विभाग में कितने कर्मचारी काम कर रहे हैं, उनकी योग्यता क्या है, इस सब का एक ऑनलाइन डेटाबेस तैयार किया जाएगा। इससे भर्तियों में होने वाली धांधली रुकेगी।
  4. बढ़ेगी नौकरी की सुरक्षा: जब सब कुछ एक सरकारी सिस्टम के तहत होगा, तो कोई भी एजेंसी या अधिकारी अपनी मनमर्जी से किसी को नौकरी से नहीं निकाल पाएगा।

यह फैसला उत्तर प्रदेश में काम कर रहे लगभग 20 लाख आउटसोर्स और संविदा कर्मचारियों के जीवन में एक बड़ा और सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखता है। यह सिर्फ एक नई संस्था का गठन नहीं, बल्कि उन लाखों कर्मचारियों के सम्मान और अधिकार को सुरक्षित करने की दिशा में उठाया गया एक बहुत बड़ा कदम है।

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